रविवार, 2 जनवरी 2011

जहां भगवान खुद देते हैं गवाही


कहते हैं कोई काम चाहे वो अच्छा हो या बुरा उसे साबित करने के लिए सबूतों की आवश्यकता पड़ती है। अगर सबूत न हों तो किसी की गवाही जरूर ली जाती है।
गवाही भी हमेशा जीवित आदमी की ही ली जाती है। पर भारत में तो भगवान को भी अपने भक्त के लिए गवाही देनी पड़ी थी।
वह स्थान जहां साक्षात भगवान ने अपनी गवाही दी थी, साक्षीगोपाल के नाम से जाना जाता है।
कथा- एक वृद्ध ब्राह्मण तीर्थ यात्रा को जाने लगे तो एक युवक भी उनके साथ हो लिया। उस समय यात्रा पैदल होती थी।
यात्रा में युवक ने उस वृद्ध की खूब सेवा की। उसकी सेवा से प्रसन्न वृद्ध ने वृन्दावन पहुंचने पर गोपालजी के मंदिर में कहा कि यात्रा खत्म होते ही वह अपनी कन्या का विवाह युवक से कर देंगें।
दोनों यात्रा करके वापस लौटे। पर चूंकि युवक गरीब था इसलिए लड़की के भाईयों ने अपनी बहन की शादी युवक से करना मना कर दिया।
युवक ने इसे अपना अपमान माना और पंचायत बुलाई। पंचों ने युवक से गवाही लाने को कहा। युवक भगवतभक्त था इसलिए वह वापस वृन्दावन गया और गोपालजी के सामने रोने लगा।
गोपालजी ने प्रकट होकर कहा कि वे उसकी गवाही देने साथ चलेंगें पर अगर रास्ते में उसने पलटकर देखा तो वे वहीं स्थिर हो जाएंगें। फलअलसा नामक स्थान पर भगवान के श्रीचरण रेत में डूबे जिससे चलने की आवाज बंद हुई और युवक ने पीछे पलटकर देखा।
गोपालजी वहीं स्थिर हो गए पर युवक का काम हो चुका था। गोपालजी का श्रीविग्रह जिसके लिए पैरों चलकर इतनी दूर आया उसे कन्या देना किसी के लिए भी परम सौभाग्य की बात थी। उससे गवाही अब कौन मांगता?
गोपालजी का वह श्रीविग्रह कटक के नरेश अपनी एक विजय यात्रा में पुरी ले आये और वहां श्रीजगन्नाथजी के मंदिर में स्थापित कर दिया पर जगन्नाथजी को जाने वाला सब भोग गोपालजी पहले ही लगा लेते थे।
इससे श्रीजगन्नाथजी ने स्वप्र दिया जिससे गोपालजी की जगह तो सत्यनारायण भगवान की मूर्ति स्थपित हुई और श्रीगोपालजी पुरी से 15 किलोमीटर दूर पधराये गए।
यहां मंदिर के पास ही चंदन तालाब है जिसमें स्नान करने के बाद ही श्रीगोपालजी के दर्शन किए जाते हैं। पुरीधाम की यात्रा का साक्षी यहां गोपालजी को माना जाता है इसलिए यात्री पुरी की यात्रा करके यहां जरूर आते हैं।
कैसे पहुचें- खुर्दा रोड से पुरी जाने वाली लाइन पर खुर्दारोड से 25 किलोमीटर दूर साक्षीगोपाल स्टेशन है।
पुरी और भुवनेश्वर से बसें भी आती हैं।
स्टेशन से मंदिर आधा मील है जहां पैदल जाया जा सकता है।

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