मंगलवार, 11 जनवरी 2011

एक संत ऐसे जिन्हें भगवान मानते हैं लोग


शेगांव में एक बरगद का पेड़ था। उस पेड़ के नीचे एक योगी रहते थे। एक बार वहां दो भाइयों ने उन्हें देखा तो वह उन्हें कुछ अजीब से लगे। भरी दोपहरी की गर्मी में भी वह एकदम शांत चित्त बैठा था। उनका रंग गोरा और शरीर जवान था। उनके चेहरे पर आत्मसंतुष्टि का भाव था। यही गजानन महाराज का पहला दर्शन था शेगांव में।
जनश्रुति के अनुसार गजानन महाराज स्वामी रामदास के अवतार थे। भक्तजन उन्हें धन, कपड़ा, खाना आदि दिया करते थे पर वे किसी से कुछ नहीं लेते थे। जैसा जो कुछ मिल जाता वैसा खा लेते और जहां मन पड़ता सो लेते। गजानन महाराज पशु-पक्षियों की बोली समझते थे और उनसे बात किया करते थे। वे योगासन के आचार्य थे। लोकमान्य बालगंगाधर तिलक उनसे इतने प्रभावित हुए कि उनके दर्शन करने वे शेगांव आया करते थे। वासुदेवानंद सरस्वती भी उनसे मिलने शेगांव आते थे।गजानन महाराज सिद्ध योगी थे। उन्होंने अपने जीवन में इतने चमत्कार किए कि लोग उन्हें भगवान की तरह पूजने लगे। वे खाली कुओं में पानी भर देते, रोगी व्यक्ति को ठीक कर देते और गलत राह पर चलने वाले को सही रास्ते पर लाते। वे अपने भक्तों का मन पढ़ लेते थे।शेगांव को विदर्भ का पंढऱपुर भी कहा जाता है। शेगांव को यहां भू-बैकुण्ठ कहा जाता है। भू-बैकुण्ठ मतलब धरती पर विष्णुलोक। कहते हैं कि विदर्भ में उस वक्त उनको भोग लगाए बिना कोई भी खाना नहीं खाता था।
रोचक तथ्य- गजानन महाराज मंदिर 1908 में स्वयं गजानन महाराज की उपस्थिति में बना था। अपनी समाधि की जगह पर उन्होंने पहले ही घोषणा कर दी थी- या जागी राहिल यानि मैं यहीं रहूंगा। मंदिर में समाधि स्थल पर स्वामीजी की प्रतिमा को छूने नहीं दिया जाता। प्रसाद या फूल-पैसे आदि भी दूर से ही चढ़ाए जाते हैं।आज शेगांव महाराष्ट्र ही नहीं पूरे देश में श्रद्धा का केंद्र बनकर उभरा है। शेगांव में गजानन महाराज की रोजाना भव्य आरती की जाती है।
कंकड़ आरती - 5 बजे सुबह
मध्यान्ह आरती -11 बजे दोपहर
संझा आरती - सूर्यास्त के समय
शेज आरती - रात 10 बजें
मंदिर में भक्तों को सुबह 11 से दोपहर 1 बजे तक नि:शुल्क महाप्रसादी का वितरण किया जाता है।
कब जाएं- शेगांव में साल भर मेले जैसा माहौल रहता है इसलिए यहां किसी भी मौसम में जाया जा सकता है। गुरुवार को यहां काफी भीड़ रहती है।
कैसे पहुंचे- शेगांव जाने का सबसे आसान तरीका ट्रेन द्वारा है। शेगांव पश्चिम-मध्य रेलवे के भुसावल-अमरावती खण्ड पर पड़ता है। यहां से गुजरने वाली लगभग हर गाड़ी यहां रूकती है।नागपुर,भुसावल,अमरावती,नांदूरा आदि जगहों से बसें भी आसानी से उपलब्ध हैं।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें