मंगलवार, 11 जनवरी 2011

संकटमोचक है इस मंत्र से श्री गणेश पूजा


हिन्दू धर्म में किसी भी शुभ कार्य को आरंभ करने से पहले भगवान श्री गणेश की पूजा की जाती है। क्योंकि श्री गणेश बुद्धि से सफलता देने वाले और विघ्रों को दूर करने वाले माने जाते हैं। वहीं गणपति भौतिक सुख-सुविधा और मनचाहे फल देने वाले देवता भी हैं। शास्त्रों में बुधवार का दिन श्री गणेश की उपासना के लिए श्रेष्ठ माना जाता है। इसलिए तीक्ष्ण बुद्धि और ज्ञान प्राप्ति के साथ हर कष्ट निवारण के लिए श्री गणेश की पूजा इस विशेष मंत्र के साथ जरूर करें -
- सुबह स्नान कर घर के देवालय या श्री गणेश मंदिर में भगवान श्री गणेश की पूजा करें।
- श्री गणेश की मूर्ति के अलावा एक पान के पत्ते प सिंदूर में घी मिलाकर या कुमकुम से रंगे चावल से स्वस्तिक बनाएं। इस पर कलावे यानि नाड़े में सुपारी लपेटकर रखें। यह गणपति का ही स्वरूप होता है।
- श्री गणेश मूर्ति या स्वरूप की पूजा गंध, अक्षत, पुष्प, वस्त्र, रोली के साथ विशेष रुप से इस मंत्र के साथ दूर्वा अगला भाग की ओर से समर्पित करें -
दुर्वा करान्सह रितान मृतन्मंगल प्रदान।
आनी तांस्तव पूजार्थ गृहाण परमेश्वर।।
- संस्कृत का ज्ञान न होने पर पूजा सामग्री ऊँ गं गणपतये नम: या श्री गणेशाय नम: इस मंत्र के साथ भी चढ़ा सकते है।
- श्री गणेश को मोदक का भोग लगाएं। अंत में घी के दीप जलाकर आरती करें।
धार्मिक दृष्टि से श्री गणेश की विशेष दूर्वा मंत्र के साथ पूजा सभी संकट, बाधाओं को दूर कर अपार सुख और सफलता देने वाली मानी गई है।

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