मंगलवार, 4 जनवरी 2011

कैसे बनी वर्ण व्यवस्था ?


पुराणों में बताया गया है कि सृष्टि के सफल संचालन के लिए हिन्दू धर्म में वर्ण व्यवस्था का निर्धारण किया गया लेकिन क्या कभी किसी ने यह सोचा कि यह वर्ण व्यवस्था कैसे बनी? किसने बनाई और क्यों बनाई?
इस बात की जानकारी विष्णु महापुराण में दी गई है विष्णु महापुराण में बताया गया है कि सृष्टि का निर्माण भगवान विष्णु ने किया है। और पृथ्वी की उत्पत्ति के बाद उसको नियमित रूप से चलाने के लिए विष्णु ने वर्ण व्यवस्था को बनाया भगवान ने मनुष्य को उत्पन्न किया और साथ ही साथ सबके कामों का निर्धारण भी किया।
ये चार वर्ण क्रमश: भगवान के मुंह वक्ष जांघ और पैरों से उत्पन्न हुए हैं विष्णु पुराण में बताया गया है कि भगवान विष्णु जगत की रचना के बारे में सोच कर ध्यामग्र हुए तभी उनके मुख से सत्वप्रधान प्रजा (ब्राह्मण)उत्पन्न
हुई उसके बाद उनके वक्ष स्थल से रजप्रधान(क्षत्रिय) तथा जंघाओं से रज और तम विशिष्ट प्रजा(वैश्य) का जन्म हुआ। भगवान विष्णु के पैरों से तम प्रधान मनुष्य(शूद्र) उत्पन्न हुए। ब्राह्मणों का काम यज्ञ करना क्षत्रियों का काम युद्ध और रक्षा करना वैश्यों का काम व्यापार करना तथा शूद्रों का काम सेवा करना था। इस प्रकार पृथ्वी पर वर्ण व्यवस्था स्थापित हुई।

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