सोमवार, 3 जनवरी 2011

फाइलों में फंसी बाघों की जिंदगी

देशभर में बाघ बचाने की जद्दोजहद के बीच कवर्धा में बाघ मार दिया जाता है। प्रदेश का वन विभाग फिर भी बेफिक्र है। प्रदेश में शिकार रोकने के लिए सभी अभयारण्यों में एंटी पोचिंग स्क्वॉड (शिकार रोकने वाला दस्ता) बनाने के प्रस्ताव को सालभर पहले मंजूरी मिल चुकी थी।

बावजूद इसके अबतक इसका गठन नहीं किया जा सका है। वन मंत्री विक्रम उसेंडी तक को इस बात की खबर नहीं है।
‘भास्कर’ से बात करते हुए वन मंत्री विक्रम उसेंडी ने दस्ते के अब तक गठन नहीं किए जाने पर हैरत जताई। उन्होंने कहा कि इस बारे में जानकारी ली जाएगी कि आखिर दस्ता क्यों नहीं बनाया गया।
विभागीय सूत्रों के मुताबिक केवल अधिकारियों की लापरवाही के कारण दस्ता नहीं बनाया जा सका।शासन ने साल भर पहले राज्य के सभी अभयारण्य क्षेत्रों में एंटी पोचिंग स्क्वाड गठित करने की मंजूरी दी थी।
पोस्टिंग के लिए मारामारी
नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी ने सभी अभयारण्यों में फौरन एंटी पोचिंग स्क्वॉड गठित करने के निर्देश दिए थे। छत्तीसगढ़ में ज्यादातर रेंजर एंटी पोचिंग स्क्वॉड में पोस्टिंग चाहते हैं।
इसी वजह से दस्ते का गठन अटका पड़ा है। अब ट्रांसफर के सीजन का इंतजार है। उसी दौरान अलग-अलग जगह पदस्थ अधिकारियों की पोस्टिंग दस्ते के लिए की जाएगी। दस्ते की कमी के कारण कवर्धा में पिछले महीने बाघ की लाश सड़ने के बाद शिकार का पता चला। गांव के बदमाश किस्म के लोगों ने ही शिकार किया था।
एक दस्ते में पांच लोग
प्रस्ताव में दस्ते का स्वरूप भी तय कर दिया गया था। प्रत्येक अभयारण्य में रेंजर, डिप्टी रेंजर के अलावा बीट गार्ड सहित पांच लोग दस्ते में शामिल किए गए थे। दस्ते को कैंपा परियोजना के तहत वाहन दिया जाना तय किया गया।
अपना खुफिया तंत्र
स्क्वॉड पर नियमित गश्त कर शिकारियों पर नजर रखने का जिम्मा होगा। दस्ता अपना खुफिया तंत्र तैयार करेगा। उनकी मदद से जंगल में शिकारियों के दाखिल होते ही उन्हें पता चल जाएगा।
स्क्वाड के गठन के बाद टाइगर ही नहीं तेंदुआ और सांभर चीतल जैसे जानवरों की सुरक्षा का घेरा मजबूत हो सकेगा। अभी बीट गार्ड निगरानी का काम करता है। उसके पास वाहन नहीं होता।
"मंजूरी के बावजूद एंटी पोचिंग दस्ते का गठन नहीं किया जाना हैरत की बात है। इस बारे में जानकारी ली जाएगी कि आखिर दस्ता क्यों नहीं बनाया गया। "
-विक्रम उसेंडी


नए भवन में आज से
बिलासपुर.हाईकोर्ट सोमवार से नए भवन में शुरू हो रहा है। इसके लिए तैयारी पूरी कर ली गई है। नए भवन में कामकाज शुरू करने के पहले कोई औपचारिक उद्घाटन कार्यक्रम नहीं रखा गया है। जज और हाईकोर्ट का स्टाफ का कामकाज बोदरी स्थित नए हाईकोर्ट भवन में सोमवार सुबह 10.30 बजे से शुरू हो जाएगा।
करोड़ों की लागत से बने इस भवन में 15 कोर्ट रूम सहित सभी अत्याधुनिक व्यवस्था है। हाईकोर्ट के नए भवन में जजों के आने-जाने के लिए भवन के पीछे से व्यवस्था की गई है, जिसके अनुसार जज पोर्च में अपनी कार रोकने के बाद लिफ्ट से सीधे अपने चेंबरों के पास पहुंचेंगे।
चीफ जस्टिस के आने-जाने के लिए अलग से व्यवस्था है। रविवार को नए भवन में दिनभर चहल-पहल रही। जजों और बार कौंसिल व एसोसिएशन के पदाधिकारियों सहित कुछ प्रमुख लोगों का यहां गेट-टुगेदर भी हुआ।
नए भवन के साथ ही यहां पर स्टेट बार कौंसिल, बार एसोसिएशन, महाधिवक्ता कार्यालय व सरकारी वकीलों के लिए भी अलग दफ्तर बनाए गए हैं। लगभग 15 दिनों के शीतकालीन अवकाश के बाद पुराना भवन जहां सूना हो जाएगा, वहीं लगभग चार साल से बन रहा नया भवन गुलजार होगा।
महाधिवक्ता लेंगे मीटिंग:
नए हाईकोर्ट भवन में कामकाज की शुरुआत करने के पहले महाधिवक्ता देवराज सिंह सुराना सुबह 9 बजे सभी लॉ अफसरों और सरकारी वकीलों की बैठक लेंगे। इस दौरान कामकाज में तेजी लाने और जिन मामलों में जवाब प्रस्तुत नहीं हो पाए हैं, उन पर प्राथमिकता से काम करने पर चर्चा करने की जाएगी।
बार कौंसिल व एसोसिएशन की शिफ्टिंग नहीं:
हाईकोर्ट बार एसोसिएशन व स्टेट बार कौंसिल के लिए बनाए गए दफ्तर में सफाई और बैठने की व्यवस्था ठीक न होने के कारण दोनों ही दफ्तर अभी नए भवन में शिफ्ट नहीं हो पाए हैं।
बार एसोसिएशन की इस संदर्भ में सोमवार को शाम 4.30 बजे पुराने हाईकोर्ट स्थित दफ्तर में बैठक रखी गई है। यहां पर स्थिति पर चर्चा के बाद शिफ्टिंग के संबंध में निर्णय लिया जाएगा।
एसोसिएशन का दफ्तर जब तक तैयार नहीं हो जाता, कौंसिल का कामकाज भी नए भवन में शुरू नहीं हो सकता। इसकी वजह है कि दोनों दफ्तरों के लिए एक ही जगह तय की गई है।
रोस्टर में आंशिक फेरबदल
नए भवन में कामकाज शुरू होने के बाद रोस्टर में आंशिक परिवर्तन किया गया है। इसके अनुसार सर्विस मामलों की जस्टिस एसके अग्निहोत्री सुनवाई करेंगे। अग्रिम जमानत, 438, 482 के तहत अपील व अपराधिक पुनरीक्षण के मामलों की सुनवाई जस्टिस टीपी शर्मा करेंगे।
जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर क्रिमिनल अपील के मामले सुनेंगे। यहां 5 डिवीजन बेंच और 8 सिंगल बेंच मामलों की सुनवाई करेंगी। इसके अनुसार पहली डिवीजन बेंच चीफ जस्टिस राजीव गुप्ता, जस्टिस एसके सिन्हा, दूसरी डीबी चीफ जस्टिस श्री गुप्ता, जस्टिस आरएन चंद्राकर, तीसरी डीबी जस्टिस आईएम कुद्दुसी, प्रशांत मिश्रा, चौथी डीबी जस्टिस धीरेंद्र मिश्रा, आरएन चंद्राकर, पांचवीं डीबी जस्टिस टीपी शर्मा, आरएल झंवर की होगी।
इसी तरह 8 सिंगल बेंच में जस्टिस धीरेंद्र मिश्रा, एसके सिन्हा, सतीश अग्निहोत्री, टीपी शर्मा, एनके अग्रवाल, प्रीतिंकर दिवाकर, आरएल झंवर व एमएम श्रीवास्तव मामलों की सुनवाई करेंगे। रोस्टर में यह भी उल्लेख किया गया है कि पुराने मामलों की सुनवाई को प्राथमिकता दी जाएगी।


काला पानी देखकर वापस आए रमन

रायपुर.मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह अपने पांच दिवसीय अंडमान निकोबार और तिरूपति की यात्रा के बाद रविवार दोपहर रायपुर लौटे। माना विमानतल पर बड़ी संख्या में जनप्रतिनिधियों, विभिन्न संस्थाओं के प्रतिनिधियों और आम नागरिकों ने मुख्यमंत्री का स्वागत किया।
इसके बाद मुख्यमंत्री निवास में ओपन हाउस हुआ। इसमें अनेक लोगों ने सीएम को नववर्ष की शुभकामनाएं दीं। डा. सिंह ने कर्मचारी संघ के कैलेंडर का विमोचन भी किया।
मुख्यमंत्री 29 दिसंबर को यहां से विमान द्वारा रवाना होकर कोलकाता होते हुए पोर्टब्लेयर गए थे। डॉ. सिंह ने आज तिरूपति में भगवान बालाजी के दर्शन कर छत्तीसगढ़ सहित सम्पूर्ण राष्ट्र में शांति, समृद्धि, विकास और खुशहाली के लिए उनसे आशीर्वाद मांगा।
डा. सिंह का विमानतल पर नगरीय प्रशासन मंत्री राजेश मूणत, राज्य भंडार गृह निगम के अध्यक्ष अशोक बजाज, राज्य सहकारी विपणन संघ के अध्यक्ष राधाकृष्णन गुप्ता, राज्य अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य दिलीप सिंह होरा ने उनका स्वागत किया।
डॉ. सिंह से आदिम जाति और अनुसूचित जाति विकास मंत्री केदार कश्यप, छत्तीसगढ़ राज्य औद्योगिक विकास निगम के अध्यक्ष बद्रीधर दीवान, राज्य भंडार गृह निगम के अध्यक्ष अशोक बजाज,
राज्य हज कमेटी के अध्यक्ष डॉ. सलीम राज, श्रम कल्याण मंडल के अध्यक्ष अरूण चौबे, पूर्व संसदीय सचिव डॉ. त्रिविक्रम भोई, राज्य योजना आयोग के उपाध्यक्ष शिवराज सिंह थे।
पुलिस महानिदेशक विश्वरंजन, प्रदेश सरकार के छत्तीसग़ढ प्रशासन अकादमी के महानिदेशक टी. राधाकृष्णन, प्रमुख सचिवगण नारायण सिंह, एन. बैजेन्द्र कुमार, सचिवगण दिनेश श्रीवास्तव, आरएस विश्वकर्मा, एसके बेहार, जवाहर श्रीवास्तव, केडीपी राव, अमन कुमार सिंह, सुबोध कुमार सिंह, के. सुब्रमण्यम सहित अन्य अधिकारी मौजूद थे।
मुख्यमंत्री से छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत कम्पनी के प्रबंध संचालकों ने भी मुलाकात की। इस दौरान मुख्यमंत्री ने उनके साथ एक संक्षिप्त बैठक में प्रदेश की विद्युत व्यवस्था और बिजली परियोजनाओं के बारे में भी विचार-विमर्श किया।
लोगों को बताया पोर्टब्लेयर का अनुभव
उन्होंने शाम को अपने निवास पर लोगों से सौजन्य मुलाकात में अंदमान-निकोबार द्वीप समूह के प्राकृतिक सौंदर्य और वहां पोर्टब्लेयर के सेल्युलर जेल के दौरे के अपने अनुभव भी सुनाए।
डॉ. सिंह ने कहा कि सेल्युलर जेल हमारे महान भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान योद्धाओं के कठिन संघर्षो की याद दिलाता है, जहां तत्कालीन ब्रिटिश हुकूमत द्वारा आजादी के दीवानों को काले पानी की सजा के रूप में उस जेल में रखा जाता था। यह जेल अब हमारी राष्ट्रीय धरोहर है।
उन्होंने कहा कि करीब 6 वर्ष पहले आए सुनामी के प्रभाव से उबरकर अब यह द्वीप समूह और वहां की सिर्फ तीन लाख की आबादी शांति और धैर्य के साथ विकास की ओर अग्रसर है।

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