रविवार, 9 जनवरी 2011

चंचुला को कैसे मिली पापों से मुक्ति?

शिव महापुराण सुनने से जन्म-जन्मांतर के पाप नष्ट हो जाते हैं। इस तथ्य के संबंध एक कथा शिव महापुराण में वर्णित है। उसके अनुसार-
समुद्र के निकट वाष्कल नामक ग्राम था। वहां के लोग बहुत ही पापी थे। वहां बिन्दुग नाम का एक ब्राह्मण रहता था वह भी बहुत दुर्जन था। उसकी पत्नी का नाम चंचुला था वह बड़ी ही सुंदर व धर्म का पालन करने वाली थी। पति को सही मार्ग पर न आते देख कुछ समय बाद वह भी दुराचारी हो गई। कुछ समय बाद बिन्दुग का निधन हो गया। बहुत दिनों तक नरक के दु:ख भोगने के बाद वह भयंकर पिशाच बन गया।
एक दिन चंचुला अपने पुत्रों के साथ गोकर्ण क्षेत्र में गई। वहां एक ब्राह्मण भगवान शिव की कथा कर रहे थे। कथा में ब्राह्मण ने दुराचारियों को नरक में दी जाने वाली यातनाओं के बारे में भी बताया। यह सुनकर चंचुला को भय होने लगा। चंचुला उस ब्राह्मण के पास गई और पापों का प्रायश्चित कैसे किया जाए यह पूछा। उस ब्राह्मण ने चंचुला को शिव महापुराण सुनने के लिए कहा।
तब चंचुला वहीं रहकर प्रतिदिन शिव महापुराण की कथा सुनने लगी। इस प्रकार उसके सभी पाप नष्ट हो गए। समय आने पर चंचुला ने अपने प्राणों का त्याग किया तब शिवदूत विमान लेकर आए और उसे अपने साथ शिवलोक ले गए। इस प्रकार शिव महापुराण का नित्य श्रवण करने से चंचुला को शिवलोक में स्थान मिला।

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