रविवार, 23 जनवरी 2011

छत्तीसगढ़ की खबरें

बूढ़ातालाब में अब एक प्रयोग और
रायपुर. ऐतिहासिक धरोहर बूढ़ातालाब को विकसित करने की योजना निगम के साथ मिलकर छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल ने शुरू की है। यहां पिछले कुछ सालों से लगातार प्रयोग किए जा रहे हैं। यह उस सिलसिले की ताजा कड़ी है। काफी पहले पर्यटन मंडल ने तालाब को टेक ओवर कर लिया है लेकिन तालाब की हालत में बहुत ज्यादा सुधार नहीं दिख रहा। इसमें गंदे नालों का पानी आकर मिल रहा है। धार्मिक आयोजनों के बाद पूजन सामग्री यहां डाली जाती है।
पर्यटन मंडल के प्रबंध संचालक तपेश झा ने बताया कि निगम से गंदे पानी की निकासी रोकने में मदद ली जाएगी। इसके बाद तालाब का पूरा कायाकल्प मंडल द्वारा किया जाएगा। तालाब के चारो ओर पाथ वे बनाकर दीवार पर पेंटिंग की गई है। सोलर लाइट लगाने का काम चल रहा है। जलकुंभी भी समय-समय पर निकाली जाती है। विवेकानंद की प्रतिमा के सामने लगा म्यूजिकल फाउंटेन बंद हो गया था, उसे भी रिपेयर किया जा रहा है। तालाब के चारों हिस्सों में लैंड स्केपिंग, वॉटर ट्रीटमेंट व वाटर प्यूरीफिकेशन का काम किया जाएगा। गार्डन में लेजर शो व लाइट एंड साउंड शो का भी आयोजन पर्यटन मंडल के द्वारा किया जाएगा।
महापौर किरणमयी नायक ने बताया कि बूढ़ा तालाब पर ठोस नीति बनाकर काम किया जाएगा। तालाब का संरक्षण व सौंदर्यीकरण करने विशेष योजना बनाई जाएगी। मंडल ने जो सुझाव दिए हैं उन पर जल्द ही अमल किया जाएगा। शहर की जनता के द्वारा धार्मिक आयोजनों के समय जो पूजन सामग्री डाली जाती है, उसके लिए तालाब के चार कोनों में स्थान तय किए जाएंगे।

न डॉक्टर मिलते हैं न पौष्टिक खाना
रायपुर। डीबी स्टार की पड़ताल में सामने आया कि आयुर्वेद अस्पताल में मरीज यहां की अव्यस्थाओं को लेकर शिकायत भी कर चुके हैं, लेकिन सुनवाई नहीं हुई। विशेषज्ञों का कहना है कि आयुर्वेद में दवाइयों का असर धीमी गति से होता है। इसीलिए मरीजों को लंबे समय तक डॉक्टरों की निगरानी में रखा जाता है। इसके बावजूद आयुर्वेद अस्पताल में अव्यवस्थाओं के चलते मरीजों को बीच में इलाज छोड़कर जाना पड़ता है।
टीम ने जब मौके पर जाकर जब देखा तो पाया कि मरीज परेशान हैं। कुछ से जब बात की गई तो उन्होंने बताया कि डॉक्टर उन्हें कुछ नर्सो के भरोसे छोड़कर चले जाते हैं। इसी तरह उनका कहना है कि जो खाना दिया जा रहा है, वह आधा कच्च, आधा पक्का होता है। पौष्टिकता की बात तो तब आएगी जब खाना पूरा होगा, मरीजों के अनुसार अक्सर दाल-चावल मिलाकर दे दिए जाते हैं।
प्रबंधन को लंबे समय से मिल रही अव्यवस्थाओं की शिकायत के बाद नई व्यवस्था लागू की गई है। इसके बाद भी डॉक्टर और नर्सिग स्टाफ इसके अनुसार काम नहीं कर रहे हैं। मरीजों ने बताया कि डॉक्टर दिन में नियमित रूप से दो बार निरीक्षण करने की बजाय दो दिन में एक बार आते हैं।
मैं यहां पांच महीने से भर्ती हूं। बीमारी में सुधार तो हुआ है, लेकिन यहां की अव्यवस्थाओं से पेरशान हो रहा हूं। खाना बिल्कुल स्तरीय नहीं मिलता है। इसी वजह से कई मरीज इलाज के दौरान ही अस्पताल छोड़कर जा चुके हैं।
काशीनाथ गजभिये, भर्ती मरीज
पहले यहां के डॉक्टर दिन में एक बार ही आते थे, मरीजों ने शिकायत की तो सुधार किया गया। अब कभी-कभी दिन में दो बार राउंड लगा लेते हैं। खाने में हर दिन आलू की सब्जी ही दी जाती है।
सकुन तांडी, भर्ती मरीज के परिजन
शासन द्वारा हमें जितना पैसा दिया जाता है, उसके हिसाब से खाना देते हैं। मद बढ़ाने के लिए लिखा है। जहां तक डॉक्टरों का सवाल है तो लापरवाही बरतने वालों को नोटिस जारी किया जाएगा।
डॉ. डी.के. तिवारी, प्राचार्य, आयुर्वेद कॉलेज

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