गुरुवार, 13 जनवरी 2011

न भूलें अपनी हदों को वरना.


पश्चिम के प्रभाव से आज हमारे समाज में हर व्यक्ति आजादी से जीने की चाह रखता है लेकिन इस आजादी की चाह में कई लोग अपनी मर्यादाएं लाघ रहे हैं और नतीजा हम देख ही रहे है कि आज रिश्तों में न प्रेम बचा है न मान सम्मान।लेकिन इंसान ये भूल जाता है कि मर्यादाओं को लांघने का नतीजा हमेशा खराब परिणाम देता है।
महाभारत में द्रोपदी का विवाह पांच पाण्डवों से होने के बाद ये आशंका सबके मन में जागी कि द्रोपदी किसके साथ रहेगी तब पाचों पाण्डवों ने मिलकर ये निर्णय लिया कि हर भाई के साथ एक एक साल तक रहेगी और उस दौरान कोई भाई हस्तक्षेप नहीं करेगा और जो इन मर्यादाओं का उल्लंघन करेगा उसे वनवास भोगना पड़ेगा।
एक बार एक डाकू एक ब्राह्मण की गायें चुराकर ले जा रहा था तब ब्राह्मण ने अर्जुन से न्याय की मांग की और कहा कि उस डाकू से मेरी गायों को वापस दिलाओ तभी अर्जुन को याद आया कि उसके धनुष बाण उस कमरे में रखे हुए हैं जहां द्रोपदी युधिष्ठिर के साथ थी अर्जुन बडे असमंजस में थे फिर भी उन्हें ब्राह्मण की सहायता करनी थी इसलिए वे अपना धनुष बाण लेने के लिए वहां पहुंच गए। हांलाकि अर्जुन ने एक अच्छे काम के लिए अपनी तर्यादा लांघी लेकिन तर्यादा लांघने के लिए उन्हें वनवास भोगना पड़ा।

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