मंगलवार, 15 फ़रवरी 2011

बुध प्रदोष व्रत , ऐसे करें पूजन


प्रत्येक माह की दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत किया जाता है। विभिन्न वारों के साथ यह व्रत विभिन्न योग भी बनाता है। जब त्रयोदशी बुधवार को आती है तो बुध प्रदोष व्रत किया जाता है। इस बार यह व्रत 16 फरवरी, बुधवार को है। यह विशेष फलदाई है। अनेक धर्मग्रंथों में इसकी महिमा का वर्णन किया गया है। प्रदोष व्रत के पालन के लिए शास्त्रोक्त विधान इस प्रकार है। किसी विद्वान ब्राह्मण से यह कार्य कराना श्रेष्ठ होता है-
- प्रदोष व्रत में बिना जल पीए व्रत रखना होता है। सुबह स्नान करके भगवान शंकर, पार्वती और नंदी को पंचामृत व गंगाजल से स्नान कराकर बेल पत्र, गंध, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य, फल, पान, सुपारी, लौंग, इलायची भगवान को चढ़ाए जाते हैं।
- शाम के समय फिर से स्नान करके इसी तरह शिवजी की पूजा करना चाहिए। शिवजी का षोडशोपचार पूजा करें। जिसमें भगवान शिव की सोलह सामग्री से पूजा की जाती है।
- भगवान शिव को घी और शक्कर मिले जौ के सत्तू का भोग लगाएं।
- आठ दीपक आठ दिशाओं में जलाएं। आठ बार दीपक रखते समय प्रणाम करें। शिव आरती करें। शिव स्त्रोत, मंत्र जप करें ।
- रात्रि में जागरण करें।
इस प्रकार समस्त मनोरथ पूर्ति और कष्टों से मुक्ति के लिए व्रती को प्रदोष व्रत के धार्मिक विधान का नियम और संयम से पालन करना चाहिए।

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