मंगलवार, 15 फ़रवरी 2011

दु:ख के बारे में सोचकर सुख को न गवाएं

जिंदगी में अच्छा-बुरा समय आता-जाता रहता है। बुरे समय के बारे में सोचकर कुछ लोग आज ही दु:खी हो जाते हैं और सुख के पल भी खो देते हैं। जबकि होना यह चाहिए कि बुरे समय से बचने के लिए हम पहले से ही कुछ ऐसी रणनीति बनाए कि उसका असर हम कम से कम हो।
यह बात व्यवसाय में भी लागू होती है। यदि हम मंदी के बारे में सोच कर अपना व्यवसाय कम कर देंगे तो निश्चित ही उसका नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा जबकि उससे बचने के लिए हमें कुछ अन्य उपाय भी सोचना चाहिए।
एक आदमी सड़के के किनारे समोसे बेचता था। वह अनपढ़ था इसलिए अखबार नहीं पढ़ता था। ऊंचा सुनने की वजह से रेडियो नहीं सुनता था और आंखे कमजोर होने की वजह से वह टेलीविजन भी नहीं देखता था। इसके बाद भी वह रोज दोगुने जोश के साथ अपना काम करता था। थोड़े ही दिनों में उसका व्यवसाय अच्छा चलने लगा और मुनाफा भी अधिक होने लगा। यह देखकर वह ज्यादा आलू खरीदने लगा। बड़ा चूल्हा खरीद लिया। इससे उसका व्यापार और भी बढ़ गया।
थोड़े दिनों बाद उसका बेटा भी काम में हाथ बटांने लगा। वह पढ़ा-लिखा था। अखबार पढ़ता था और रेडियो भी सुनता था। एक दिन उसने अपने पिता से कहा कि जिस तरह व्यापार जगत में मंदी का दौर आया है इसका असर हम पर भी पड़ेगा। आगे हमें बुरे हालातों का सामना करना पड़ सकता है। यह सुनकर वह व्यक्ति ने सोचा कि उसका बेटा समझदार है और पढ़ा लिखा भी। इसकी बात को गंभीरता से लेना चाहिए।
दूसरे ही दिन उसने आलू की खरीदी कम कर दी और अपना साइनबोर्ड भी नीचे उतार दिया। उसका जोश खत्म हो चुका था। थोड़े ही दिनों में उसकी दुकान पर ग्राहकों की संख्या कम हो गई और मुनाफा भी कम हो गया। तब उस व्यापारी ने अपने बेटे से कहा कि तुमने एकदम सही समय पर मुझे मंदी के बारे में बता दिया नहीं तो अधिक नुकसान हो सकता था।

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