मंगलवार, 8 फ़रवरी 2011

शादी के बाद मंगलसूत्र क्यों ?

हिन्दू परंपरा के अनुसार शादी के बाद महिलाओं को बहुत सी श्रृंगार सामग्री लगाना और गहने पहनना अनिवार्य माना गया है। मंगलसुत्र उन्ही में से एक है। मंगलसुत्र वैसे विशेषकर महाराष्ट्र में मंगलसूत्र पहनने की परम्परा है। हर समाज में इसे पहनना जरूरी नहीं माना गया है।
धागे में पिरोए काले मोती और सोने का पेंडिल से बना मंगलसूत्र पहनना विवाहित स्त्री के अनिवार्य बताया गया है। इसकी तुलना किसी अन्य आभूषण से नहीं की जाती। प्राचीन काल से मंगलसूत्र की बड़ी महिमा बताई गई है। हर स्त्री को मंगलसूत्र विवाह पर पति द्वारा पहनाया जाता है जिसे वह स्त्री पति की मृत्यु पर ही उतार कर पति को अर्पित करती है।
उसके पूर्व किसी भी परिस्थिति में मंगलसूत्र स्त्री उतारना मना है। इसका खोना या टूटना अपशकुन माना गया है। साथ ही इसे पति की कुशलता से भी जोड़ा गया है। इसी वजह से विवाहित महिलाओं के लिए मंगलसूत्र पहनना अनिवार्य माना गया है।
यह तो हुआ मंगलसूत्र का धार्मिक महत्व परंतु मंगलसूत्र की अनिवार्यता के कुछ अन्य कारण भी है। विवाहित स्त्री जहां जाती है वहां वह आकर्षण का केंद्र होती है। सभी की अच्छी-बुरी नजरें उसी की ओर होती हैं। ऐसे में मंगलसूत्र के काले मोती उसे बुरी नजर से बचाते हैं। वहीं उसमें लगे सोने के पेंडिल का भी विशेष महत्व है। चूंकि सोना तेज और ऊर्जा का प्रतीक है। इसी लिए सोने के पेंडिल से स्त्री में तेज और ऊर्जा का संचार बना रहता है। इन्हीं वजह से मंगलसूत्र को विवाहित स्त्रियों के लिए अनिवार्य बताया गया है।
(bhaskar.com)

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