रविवार, 27 फ़रवरी 2011

सरस्वती का वाहन हंस क्यों?

अच्छी शिक्षा और अच्छे संस्कार के लिए मां सरस्वती की आराधना आवश्यक मानी गई है। इसके लिए विद्या की देवी सरस्वती की पूजा करते समय सभी ने देखा होगा कि मां हंस पर विराजित हैं। देवी के सभी चित्रों और प्रतिमाओं में उन्हें हंस पर आसीन भी दिखाया गया है। इसी वजह से इन्हें हंसवाहिनी भी कहा जाता है परंतु देवी सरस्वती हंस पर ही क्यों विराजित हैं?
मां सरस्वती का वाहन हंस है, इसके कई संदेश बताए गए हैं। शास्त्रों के अनुसार देवी सरस्वती विद्या की देवी हैं और उनका स्वरूप श्वेत वर्ण बताया गया है। उनका वाहन भी श्वेत हंस ही है। सफेद रंग शांति और पवित्रता का प्रतीक है। यह श्वेत वर्ण शिक्षा देता है कि अच्छी विद्या और संस्कार के लिए आवश्यक है कि आपका मन शांत और पवित्र हो। आज के समय में सभी को उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत करना होती है, मेहनत के साथ ही माता सरस्वती की कृपा भी उतनी आवश्यक है। यदि आपका मन शांत और पवित्र नहीं होगा तो देवी की कृपा प्राप्त नहीं और पढ़ाई में सफलता प्राप्त नहीं होगी।
देवी का वाहन हंस यही संदेश देता है कि मां सरस्वती की कृपा उसे ही प्राप्त होती है जो हंस के समान विवेक धारण करने वाला है। केवल हंस में ही वह विवेक होता है कि वह दूध और पानी को अलग-अलग कर सकता है। सभी जानते हैं कि हंस दूध ग्रहण और पानी छोड़ देता है। इसी तरह हमें भी बुरी सोच को छोड़कर अच्छाई को ग्रहण करना चाहिए। साथ हंस का श्वेत रंग यह बताता है कि विद्या ग्रहण करने के लिए मन शांत और पवित्र रहे। इससे हमारा मन एकाग्र होता है, पढ़ाई में मन लगता है। आज अच्छे जीवन के लिए शिक्षा अति आवश्यक है और अच्छी के लिए हमें हंस की तरह विवेक रखने की जरूरत है।

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