शनिवार, 19 फ़रवरी 2011

प्रकृति का श्रृंगार उत्सव है फागुन

प्रकृति ने मनुष्य को कई सौगातें दी हैं उन्हीं में मौसम भी एक हैं। प्रत्येक मौसम हमें प्रकृति के अनेक रूप दिखाता है और हमें नए संदेश भी देता है। वैसे तो हर मौसम अपने आप में विशेष होता है लेकिन उन सभी में वसंत के मौसम का अपना एक अलहदा अदांज होता है। फागुन का महीना और वसंत का मौसम जब साथ होते हैं तो धरती की तुलना सजी-धजी दुल्हन से की जाने लगती है।

मीलों तक फैले पीली सरसों के खेत देख ऐसा लगता है कि जैसे धरती ने पीली चुनर ओढ़ रखी है। पीले रंग से सजी संवरी यह दुल्हन रुपी वसंत रूपी अपने पति के आगमन की सूचना देती है। फागुन के महीने में बौराए आमों की मदमस्त गंध और पलाश के पेड़ों के साथ तन-मन बौरा जाता है। हर वर्ष फागुन का महीना आते ही सारा वातावरण जैसे रंगीन हो जाता है और हो भी क्यों न, खेतों में पीली सरसों लहलहाती है, पेड़ों पर पत्तों की हरी कौपलें और पलाश के केसरिया फूल। इन सब को देखकर मन भी अनायास ही रंगीन हो जाता है। ऐसा होता है फागुन का खुमार।
इस दौरान हिंदू धर्मावलंबी फाग महोत्सव भी मनाते हैं। जो इस मास की महिमा और बढ़ा देता है। रंगों का त्योहार होली भी फाल्गुन मास की पूर्णिमा को रंग, उत्साह, मस्ती और उल्लास का त्योहार मनाया जाता है। वसंत की हवा के झोंके, फागुन की मस्ती और रंगों का सुरूर जीवन को उत्साहित कर देता है। ऐसा लगता है कि प्रकृति भी हमारे साथ-साथ फागुन का मजा ले रही हो। फागुन का यही उत्सवी माहौल इसे अन्य महीनों से जुदा बनाता है और खास भी।

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