बुधवार, 9 फ़रवरी 2011

क्या अंतर है तुलसी की रामचरितमानस और वाल्मीकि रामायण में?

कई लोगों के लिए यह एक सवाल ही है कि वाल्मीकि की रामायण और तुलसीदास की रामचरित मानस में क्या अंतर है। कई लोग तुलसीदास की रामचरित मानस को ही मूल रामायण मानते हैं। वास्तव में वाल्मीकि रामायण और तुलसीदास की रामचरित मानस में बहुत अंतर है। आज हम आपको दोनों ग्रंथों में मूल रूप से क्या अंतर है, यह बता रहे हैं।

मौलिकता - रामचरितमानस गोस्वामी तुलसीदास द्वारा लिखा गया रामायण से प्रेरित एक महाकाव्य है। दोनों के ही नायक राम है लेकिन ऐसा माना जाता है कि महर्षि वाल्मीकि ने रामायण को राम के जीवनकाल में ही लिखा था और खुद भगवान राम ने इसे सुना भी था। रामायण को राम द्वारा प्रमाणित ग्रंथ माना गया है वहीं रामचरितमानस तुलसीदास द्वारा सत्रहवी शताब्दी में लिखा गया काव्य है।
भाषा- रामचरितमानस की भाषा अवधि है जो कि भारत की प्रमुख लोक भाषा है। इसलिए रामचरितमानस आज वाल्मीकि रामायण से ज्यादा लोकप्रिय है। वाल्मीकि रामायण संस्कृत में लिखी गई है। जो कि आज नियमित पढऩा मुश्किल है।
कथा - राम के जीवन की कई ऐसी घटनाओं का वर्णन भी किया गया है जो रामचरितमानस में नहीं बताई गई हैं यानी रामचरितमानस पूर्णत: एक आदर्श ग्रंथ हैं। जिसका केन्द्रीय किरदार राम है। रामचरित मानस में राम एक ऐसे नायक हैं जो समाज के लिए एक आदर्श प्रस्तुत करते हैं। रामायण महर्षि वाल्मिकी द्वारा लिखा गया भगवान श्री राम का जीवन वृतांत है।
सूत्रधार - वहीं गोस्वामी तुलसीदास की रामचरित मानस के चार सूत्रधार है। यहां एक और भगवान शंकर मां पार्वती को राम की गाथा सुना रहे हैं। ऋषि कागभुशंडी पक्षीराज गरूड़ को सुना रहे हैं। याज्ञवल्क्य ऋषि भारद्वाज को रामकथा कह रहे हैं। इस तरह रामचरितमानस के माध्यम से तुलसीदास जी यह संदेश दे रहे है कि यह पशु-पक्षी, संत और गृहस्थ सभी के लिए रामचरितमानस एक आदर्श ग्रंथ है।

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