बुधवार, 9 फ़रवरी 2011

ईश्वर,के विभिन्न रूप

वैदिक संस्कृति ही सच्ची भारतीय हिंदू संस्कृति है। वैदिक काल में, ब्रह्म, इंद्र, वरुण आदि रूप में एक ही परमेश्वर की उपासना चलती थी। बाद में जगत की सृष्टि, स्थिति और तप को लेकर भगवान के ब्रह्मा, विष्णु और महेश रूप की उपासना चल पड़ी। पुराण काल में इन तीनों देवों को मुख्य माना गया है। ब्रह्मा की अपेक्षा विष्णु और शिव की उपासना हिंदू धर्म में अधिक व्यापक रूप से प्रचलित है। हिंदू धर्म में ईश्वर को साकार और निराकार दोनों ही रूपों की मान्यता एवं उपासना प्रचलित है। मनुष्यों के बौद्धिक स्तर एवं रुचियों में भिन्नता के कारण ही ईश्वर को साकार एवं निराकार दोनों रूपों में परिभाषित किया गया है। ईश्वर के सगुण एवं साकार रूप की उपासना अधिक सरल, सहज एवं रुचिकर होने के कारण सुविधाजनक होती है। उच्च बुद्धि प्रधान मनुष्यों के लिए निराकार ईश्वर के प्रकाश स्वरूप परब्रह्म स्वरूप का विवेचन भी हिंदू धर्म में किया गया है।

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