गुरुवार, 10 फ़रवरी 2011

कर्म और पुनर्जन्म

हिंदू धर्म में कर्मफल का सिद्धांत अत्यंत महत्वपूर्ण सिद्धांत है। कर्मफल का सिद्धांत अत्यंत तर्क पूर्ण एवं वैज्ञानिक सिद्धांत है। कर्मफल का सिद्धांत यह कहता है कि जैसा कर्म होता है उसका फल वैसा ही होता है। मनुष्य को अपने पूर्व कर्मों के आधार पर ही वर्तमान जन्म, परिवार एवं परिस्थितियां प्राप्त होती है। हिंदू धर्म की यह अटल मान्यता है कि मनुष्य को उसके कर्मों के आधार पर अगला जन्म मिलता है। आत्म-ज्ञान या मोक्ष की प्राप्ति तक जन्म-मरण का चक्र चलता रहता है। मनुष्य अपने भविष्य का निर्माता स्वयं है। उसके ही पूर्व कर्मों ने उसके वर्तमान जीवन को गढ़ा(तैयार किया) है, और उसके वर्तमान कर्म ही उसके भविष्य के जीवन का निर्माण करेंगे।
चार पुरुषार्थ हिंदू धर्म शास्त्रों में भारतीय ऋषियों-मुनियों ने मनुष्य के लिए चार पुरुषार्थ करना अनिवार्य बताया गया है। ये चार पुरुषार्थ इस प्रकार हंै:1. धर्म2. अर्थ3. काम4. मोक्षजिन कर्मों से समाज उन्नति करता है, समाज टिकता है, उन कर्मों का नाम धर्म है। काम यानी कामना का विषय सुख के लिए मनुष्य नाना प्रकार के काम करता है। किंतु ये सारे काम धर्मानुकूल होने चाहिए। अर्थ, अर्थात् धन, सुख पाने के लिए भी धन चाहिए पर यह धन भी धर्म के रास्ते से ही आना चाहिए। मोक्ष अर्थात् बंधन से छुटकारा। स्वार्थ एवं मोह रहित होकर अपने कर्तव्यों का पालन करना एवं अनासक्त भाव से कर्म करते हुए कर्म के फल से मुक्त होना ही मोक्ष है।

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