रविवार, 13 मार्च 2011

चंद्रमा ही नहीं, कुछ और कारण भी हैं जापान में तबाही के!

जापान में हुई भीषण तबाही के लिए भौतिकी जानकारों ने भले ही चंद्रमा को ही एकमात्र कारण बताया हो लेकिन इसके पीछे कुछ और तथ्य भी हैं। भौगोलिक तथ्यों में भले ही चंद्रमा की पृथ्वी से निकटता के कारण सुनामी और भूकंप का आना माना जा रहा हो लेकिन ज्योतिष इसके कुछ और कारण भी बताता है। अकेले चंद्रमा के कारण इतनी बड़ी तबाही नहीं हुई है।
ज्योतिष शास्त्र कहता है कि सूर्य, मंगल और शनि भी इस त्रासदी के कारण हैं। इन ग्रहों के कारण ही जापान को तीन तरफा मार झेलनी पड़ी। भूकंप, सुनामी और फिर आगजनी। जापान की राशि मकर है और मकर राशि में स्थित दो पाप ग्रह सूर्य और मंगल इस राशि वाले स्थानों को प्रभावित कर रहे हैं। इस प्राकृतिक प्रकोप पर चंद्रमा का प्रभाव देखा जाए तो अभी शुक्ल पक्ष चल रहा है और कृष्ण पक्ष से शुक्ल पक्ष की षष्ठमी तक चंद्रमा बलहीन होता है।
11 मार्च को जापान में प्राकृतिक आपदा आने का एक कारण कृतिका नक्षत्र, वैधृति योग और तैतिल करण का होना है। कृतिका नक्षत्र का स्वामी सूर्य है और तैतिल करण का स्वामी भी सूर्य है। जापान की राशि मकर का नक्षत्र उत्तराषाढ़ है और इस नक्षत्र का स्वामी भी सूर्य है। वर्तमान में सूर्य अपनी शत्रु राशि में भ्रमण कर रहा है इसके फलस्वरूप अग्रि से संबंधित दुर्घटना हुई। चंद्रमा को ज्योतिष में मन का स्वामी माना गया है और यह पानी का कारक ग्रह है। चंद्रमा की स्थिति ही ज्वार भाटा को प्रभावित करती हैं।
19 मार्च को चंद्रमा पृथ्वी के बहुत करीब रहेगा इस समय जल से संबंधित दुर्घटनाएं हो सकती है।इस समय सूर्य और मंगल कुंभ राशि में हैं। यह शनि की राशि है और इस पर फिलहाल शनि की ढैया भी चल रही है। जिससे भूकंप और आगजनी जैसी घटना हुई। शनि को वायु का कारक ग्रह माना गया है। और वर्तमान में वक्री शनि की अच्छी स्थिति न होने के कारण वायु दुर्घटनाओं के योग बनेंगे। 4 अप्रैल 2011 को शुरू होने वाले क्रोधी संवत्सर का स्वामी शनि रहेगा। शनि और गुरु 29 मार्च को ठीक आमने सामने आ जाएंगे।
चुंकि गुरु जल राशि मीन में स्थित है और वर्तमान में वक्री शनि गुरु को देख रहे हैं इसलिए जल से संबंधित प्राकृतिक आपदाओं का योग बन रहा हैं। शनि और गुरु की प्रतियुति से अन्य दुर्घटनाओं के योग भी बन रहे हैं।25 मार्च से 13 अप्रैल 2011 तक मीन राशि में ( सूर्य, मंगल, बुध, गुरु) चर्तुग्रही योग बना रहेगा और मीन राशि में स्थित चार ग्रहों पर शनि की दृष्टि पड़ेगी। इस योग से कहीं कहीं हिंसा, रक्तपात और हवाई दुर्घटनाओं का योग बन रहा हैं।

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