चेहरा मनुष्य का दर्पण है। समुद्र शास्त्री सिर्फ चेहरा देखकर किसी के भी भूत, भविष्य व वर्तमान की भविष्यवाणी कर सकते हैं। समुद्र शास्त्र व शरीर लक्षण विज्ञान के अंतर्गत चेहरे के लक्षणों पर काफी शोध किया गया है। रेखा गणित के अनुसार चेहरे के 6 प्रकार बताए गए हैं, सभी अलग-अलग स्वभाव को प्रदर्शित करते हैं जो इस प्रकार हैं-
आदर्श चेहरा- आदर्श मुख नाशपाती के समान होता है, जो आस-पास से चपटा हो और जिसमें कोई कोण अथवा गड्ढा न हो। ऐसे लोग आशावान, समृद्धिशील, यशस्वी, वैभवशाली, नेतृत्व शक्ति से भरपूर तथा उत्तम जीवन व्यतीत करने वाले होते हैं।
समकोण चेहरा- ऐसा चेहरा चारों ओर से समान अर्थात चौकोर होता है। ऐसे लोग बेहतर कार्य क्षमता, स्पष्टवादी, सौम्य, विचारवान, लगनशील तथा समझौतापूर्ण आचरण वाले होते हैं।
न्यूनकोण चेहरा- यह चेहरा कपाल से शुरु होकर ठोड़ी तक क्रमश: न्यूनकोण की स्थिति में आता है । यह 90 डिग्री से जितना कम बनेगा वह व्यक्ति सभ्यता से उतना ही अधिक दूर होगा।
उन्नोतदर चेहरे- जब नाक सुतवां हो और दाढ़ी अंदर को ढलवां हो जैसे कमान तो उसे उन्नोतदर चेहरा कहते हैं। ऐसे लोग शक्ति से भरपूर, सुक्ष्म निरीक्षक, व्यवहार कुशल, मनमौजी व स्वार्थी होते हैं। इनमें जिद्दीपन कूट-कूटकर भरा होता है। यह योग्य संरक्षक, कुशल मार्गदर्शक व बढिय़ा जीवनसाथी साबित होते हैं।
नतोदर चेहरा- ऐसा चेहरा उन्नतोदर चेहरे से बिल्कुल विपरीत होता है। ऐसे लोग शांत, गंभीर, चतुर तथा विचारवान होते हैं। ये सदैव लाभ को लक्ष्य में रखते हैं। संपूर्ण रूप से सांसारिक होते हैं। ये अच्छे मित्र नहीं होते।
मिश्रित चेहरा- ऐसे चेहरे सबसे अलग होते हैं तथा सभी चेहरों का मिश्रण होते हैं। यह कई प्रकार के हो सकते हैं। जब ऊपरी भाग उन्नतोदर और निचला भाग नतोदर हो तो ऐसे मिश्रित चेहरे वाले लोग भावुक, दिल के साफ, समझदार व लाभ पाने के इच्छुक होते हैं।
यदि ऊपरी भाग नतोदर व निचला उन्नतोदर हो तो उसमें अस्थिरता, अव्यवहारिकता, चंचलता, जल्दबाज आदि अवगुण आ जाते हैं।
(www.bhaskar.com)
आदर्श चेहरा- आदर्श मुख नाशपाती के समान होता है, जो आस-पास से चपटा हो और जिसमें कोई कोण अथवा गड्ढा न हो। ऐसे लोग आशावान, समृद्धिशील, यशस्वी, वैभवशाली, नेतृत्व शक्ति से भरपूर तथा उत्तम जीवन व्यतीत करने वाले होते हैं।
समकोण चेहरा- ऐसा चेहरा चारों ओर से समान अर्थात चौकोर होता है। ऐसे लोग बेहतर कार्य क्षमता, स्पष्टवादी, सौम्य, विचारवान, लगनशील तथा समझौतापूर्ण आचरण वाले होते हैं।
न्यूनकोण चेहरा- यह चेहरा कपाल से शुरु होकर ठोड़ी तक क्रमश: न्यूनकोण की स्थिति में आता है । यह 90 डिग्री से जितना कम बनेगा वह व्यक्ति सभ्यता से उतना ही अधिक दूर होगा।
उन्नोतदर चेहरे- जब नाक सुतवां हो और दाढ़ी अंदर को ढलवां हो जैसे कमान तो उसे उन्नोतदर चेहरा कहते हैं। ऐसे लोग शक्ति से भरपूर, सुक्ष्म निरीक्षक, व्यवहार कुशल, मनमौजी व स्वार्थी होते हैं। इनमें जिद्दीपन कूट-कूटकर भरा होता है। यह योग्य संरक्षक, कुशल मार्गदर्शक व बढिय़ा जीवनसाथी साबित होते हैं।
नतोदर चेहरा- ऐसा चेहरा उन्नतोदर चेहरे से बिल्कुल विपरीत होता है। ऐसे लोग शांत, गंभीर, चतुर तथा विचारवान होते हैं। ये सदैव लाभ को लक्ष्य में रखते हैं। संपूर्ण रूप से सांसारिक होते हैं। ये अच्छे मित्र नहीं होते।
मिश्रित चेहरा- ऐसे चेहरे सबसे अलग होते हैं तथा सभी चेहरों का मिश्रण होते हैं। यह कई प्रकार के हो सकते हैं। जब ऊपरी भाग उन्नतोदर और निचला भाग नतोदर हो तो ऐसे मिश्रित चेहरे वाले लोग भावुक, दिल के साफ, समझदार व लाभ पाने के इच्छुक होते हैं।
यदि ऊपरी भाग नतोदर व निचला उन्नतोदर हो तो उसमें अस्थिरता, अव्यवहारिकता, चंचलता, जल्दबाज आदि अवगुण आ जाते हैं।
(www.bhaskar.com)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें