शनिवार, 5 मार्च 2011

इसलिए कृष्ण ने जरासंध को भीम से मरवाया...

तब कृष्ण ने जरासंध से कहा हम स्नातक ब्राह्मण हैं, ये तो आपकी समझ की बात है। स्नातक का वेष तो ब्राह्मण वैश्य, क्षत्रीय सभी धारण कर सकते हैं। हम क्षत्रिय हैं हम सिर्फ बोली के बहादुर नहीं है। दुश्मन के घर में बिना दरवाजे के प्रवेश करना और दोस्त के घर में दरवाजे से प्रवेश करना इसमें कोई अधर्म नहीं है। तब जरासंध बोला मुझे तो याद नहीं है कि आपका और मेरा किसी बात पर युद्ध हुआ हो, तो मुझे शत्रु समझने का क्या कारण है? मैं अपने धर्म को निभाता हूं। प्रजा को परेशान नहीं करता। फिर मुझे दुश्मन समझने का क्या कारण है?
तब कृष्ण ने कहा तुमने सभी क्षत्रियों को मारने का निर्णय लिया है, क्या यह अपराध नहीं है? तुम सबसे अच्छे राजा होते हुए भी सभी को मारने चाहते हो। यह तुम्हारा घमंड है। तुम अपने बराबर वालों के सामने यह घमंड छोड़ दो। तुम अपनी ये जिद छोड़ दो नहीं तो तुम्हे अपनी सेना सहित यम लोक में जाना पड़ेगा। हम ब्राह्मण नहीं है। मैं कृष्ण हूं और ये पाण्डु पुत्र अर्जुन और भीम है। हम तुम्हे युद्ध के लिए ललकारते हैं। तब जरासंध बोला मैं किसी भी राजा को यहां बिना जीते नहीं लाया हूं। उसने गुस्से में कहा तुम तीनों चाहो तो मुझ से एक साथ लड़ लो। कृष्ण को पता था कि आकाशवाणी के अनुसार इसका वध यदुवंशी के हाथ से नहीं होना चाहिए।। इसलिए उन्होंने जरासंध को खुद ना मारकर उसे भीम से मरवाया।
(www.bhaskar.com)

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