सोमवार, 4 अप्रैल 2011

तब राजा अपना रास्ता भटक गया...

शिवजी ने कहा पार्वती अब तुम भगवान के अवतार लेने की एक और कथा सुनो। एक बहु्त मशहूर देश कैकय था। वहां सत्यकेतु नाम का एक राजा रहता था। वह बहुत धार्मिक, तेजस्वी, प्रतापी और बलवान था। उनके राज्य का उत्तराधिकारी जो उनका बड़ा लड़का था। उसका नाम प्रतापभानु था। दूसरे पुत्र का नाम अरिमर्दन था। जिसकी भुजाओं में बहुत बल था।
दोनों भाइयों में बहुत प्रेम था।राजा ने अपने बड़े पुत्र को राज्य सौंप दिया। वह अच्छे से अपने प्रजा का पालन करने लगा। वेदों में राजा के जो भी धर्म बनाए गए है। उसके अनुसार वह प्रजा का पालन करने लगा। उसने बहुत सी बावड़ी और कुएं खुदवाए। वह राजा बुद्धिमान और ज्ञानी था। एक बार वह राजा एक अच्छे घोड़े पर सवार होकर, शिकार का सब समान सजाकर विन्ध्याचल घने जंगल में गया और वहां उसने बहुत से सुन्दर हिरन मारे। राजा ने वन घूमते सुअर को देखा। मानों राहु वन में आ छूपा हो। उसका शरीर बहुत बड़ा था। तभी राजा के घोड़े्र के आने की आवाज सुनकर वह घुर्राने लगा।
उस सुअर को देखकर राजा घोड़े को चाबुक लगाकर तेजी से चला और उसने सूअर को ललकारा कि अब तू नहीं बच सकता। घोड़े को आता देखकर सूअर हवा के वेग से भागने लगा। राजा ने तुरंत ही बाण को धनुष पर चढ़ाया। सूअर बाण को देखते ही धरती में दुबक गया। वह सूअर दौड़ता हुआ घने जंगल में चला गया। राजा को बहुत धैर्यवान देखकर सूअर भागकर गुफा में जा घुसा। उस गुफा में राजा को जाना कठिन लगा तो उसने वापस लौटने का फैसला किया लेकिन वह रास्ता भटक गया।
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