रविवार, 17 अप्रैल 2011

रात के भी 'राजा' थे डायनासोर

एक नए शोध से पता चला है कि कुछ डायनासोर रात में भी शिकार किया करते थे। इसके लिए अलग-अलग दिनचर्या वाले पक्षियों और रेंगने वाले जानवरों यानि सरीसृपों की वर्तमान प्रजातियों की आँखों का अध्ययन कर उसकी तुलना डायनासोर के जीवाश्म के हिस्सों से की गई।
शोध से इस निष्कर्ष पर पहुँचा गया कि माँसाहारी डायनासोर रात में शिकार करते थे जबकि शाकाहारी डायनासोर रात और दिन दोनों समय भोजन की तलाश करते थे।

इस नए वैज्ञानिक शोध में उस प्रचलित अवधारणा को भी चुनौती दी गई है कि रात में ही शिकार तलाशने वाले स्तनधारी जीव दिन में भोजन की तलाश में जुटे डायनासोर से खुद को बचाने के लिए ऐसा करते थे।
युनिवर्सिटी ऑफ कैलीफोर्निया डेविस के शोधकर्ताओं लार्स स्मित्ज और रयोस्की मॉटनी ने लगातार कई सालों तक डायनासोर और उनके वंशज छिपकली व पक्षियों की आँखों का अध्ययन किया। वो चाहते थे कि ये पता चल सके कि क्या डायनासोर की आँखे रात में सक्रिय रहती थीं।
पुरानी अवधारणा : आमतौर पर अब तक ये माना जाता रहा है कि डायनासोर सिर्फ दिन में ही जागते थे। शोधकर्ता ये पता करने की कोशिश कर रहे थे कि डायनासोर की आँखे कितनी बड़ी और रोशनी के प्रति कितनी संवेदनशील रही होंगी।
हालाँकि जीवाश्म के अध्ययन से इस बात के संकेत नही मिले कि उनकी आँखों की पुतली कितनी बड़ी रही होंगी।
शोधकर्ता डॉ लार्स स्मित्ज ने बीबीसी को बताया कि उन्होनें ऐसी प्रजातियों का अध्ययन किया जो अलग-अलग दिनचर्या वाली थीं। उन्होनें छिपकली और पक्षियों की आँखों की छानबीन की। आँखों को घेरने वाली हड्डियों की नाप जोख के बाद उसकी तुलना डायनासोर की आँखों से की।
शोधकर्ताओं ने 33 डायनासोर की आँखों के ढ़ाँचों का लेखा-जोखा तैयार किया और नतीजा निकाला कि डायनासोर रात और दिन दोनों समय सक्रिय रहते थे।
शोधकर्ता कहते हैं कि इस शोध के बाद डायनासोर की कहानी और पेचीदी हो गई है और अब इस दिशा में ज्यादा शोध की जरूरत है।
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