रविवार, 17 अप्रैल 2011

स्वयं पर शासन करके स्वामी बन गए बादशाह

एक स्वामी स्वयं को बादशाह कहा करते थे। ऐसे ही विश्व भ्रमण के दौरान वे किसी देश पहुंचे, तो वहां के राष्ट्रपति उनसे मिलने आए। लेकिन स्वामीजी को देखकर वे बोले कि आपके पास तो ऐसा कुछ भी नहीं है, जिससे यह लगे कि आप बादशाह हैं। बादशाह तो वह होता है, जिसके पास आठ-दस देश हों, अपार धन व संपत्ति हो। इस पर स्वामीजी ने कहा कि बस थोड़ा-सा फासला अभी बाकी है मुझमें और मेरे बादशाह बनने में। वह फासला है मेरी लंगोटी। जिस दिन मैं अपनी इस लंगोटी का भी परित्याग कर दूंगा, उसी दिन मैं पूर्णरूप से बादशाह बन जाऊंगा। बादशाह तो उसे कहते हैं, जिसे किसी भी चीज की जरूरत न हो। जो संपूर्णता से भरा हुआ हो, वही तो बादशाह है और मैं संपूर्ण रूप से भरा हुआ हूं। मुझे इस संसार में किसी चीज की कामना नहीं है, मेरी कोई भी इच्छा नहीं है। इसलिए ही तो मैं बादशाह हूं। बादशाह का मतलब यह नहीं होता कि मेरे पास एक राज्य है और मैं दूसरा राज्य भी चाहता हूं। दस अरब की संपत्ति मिल गई है तो अब बीस अरब की संपत्ति मुझे और मिल जाए। यह कामना बादशाहत की नहीं, बल्कि भिखारीपन की निशानी है। मेरे पास जितना है, उससे मुझे संतुष्टि नहीं मिलती, बल्कि और चाहिए की कामना रहती है। जिसका सारा जहान अपना बन जाए, उससे बड़ा बादशाह और कौन हो सकता है? वस्तुत: जिस व्यक्ति ने अपने ऊपर शासन कर लिया, उससे बड़ा बादशाह कोई और नहीं।
: भास्कर न्यूज

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