सोमवार, 4 अप्रैल 2011

घर के बाहर गुड़ी क्यों लगाते हैं

गुड़ी पड़वा यानी हिन्दू नववर्ष के पहले दिन से जुड़ी हमारे देश में अनेक परंपराएं हैं। देश के हर क्षेत्र में गुड़ी पड़वा की अलग परंपरा है। महाराष्ट्र में पूरन पोली या मीठी रोटी बनाई जाती है। इसमें गुड़, नमक, नीम के फूल, कच्चा आम , इमली मिलाई जाती हैं। गुड़ मिठास के लिए, नीम के फूल कड़वाहट मिटाने के लिए और इमली व आम जीवन के खट्टे-मीठे स्वाद चखने का प्रतीक होती हैं। यूँ तो आजकल आम बाजार में मौसम से पहले ही आ जाता है, किन्तु आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र में इसी दिन से खाया जाता है। नौ दिन तक मनाया जाने वाला यह त्यौहार दुर्गापूजा के साथ-साथ, रामनवमी को राम और सीता के विवाह के साथ सम्पन्न होता है।
हमारे देश के कुछ हिस्सों में विशेषकर महाराष्ट्र में घर के बाहर गुड़ी लगाने का रिवाज है। लेकिन गुड़ी लगाई क्यों जाती है ये बहुत कम लोग जानते हैं। गुड़ी को एक औरत का रूप दिया जाता है। एक लकड़ी के डण्डे के ऊपरी सिरे पर कलश रख उसके चारों ओर साड़ी लपेट दी जाती है। फिर इसे फूलों से सजकार घर के द्वार पर लगा दी जाती है। उसकी पूजा-हवन किए जाते हैं। गुड़ी का अर्थ होता है विजय ध्वज। इस संबंध में ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान श्रीराम ने बाली को मारा था।और इसी कारण गुड़ी के रूप में विजय ध्वज के रूप में घर के बाहर गुड़ी लगाई जाती है।

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