आईपीएल-4 शुरू होने से पहले वीरेन्द्र सहवाग, युवराजसिंह और गौतम गंभीर सहित कई खिलाड़ियों ने दावा किया था कि वे महेन्द्रसिंह धोनी की कप्तानी को अच्छी तरह जानते हैं और टूर्नामेंट में उनकी हर चाल का जवाब देंगे।
लेकिन, धोनी ने आईपीएल में अपनी टीम चेन्नई सुपरकिंग्स को लगातार दूसरी बार चैंपियन बनाकर दिखा दिया है कि क्रिकेट की दुनिया का असली दबंग कौन है। वर्ष 2007 से शुरू हुआ धोनी की सफलता का सिलसिला बदस्तूर जारी है और हर दिन वे नई ऊंचाइयां हासिल कर रहे हैं।
आईपीएल के फाइनल में धोनी के समक्ष चक्रवाती फॉर्म में चल रहे रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु के कैरेबियाई बल्लेबाज क्रिस गेल की चुनौती थी। फाइनल मुकाबले से पहले गेल की मौजूदगी में बेंगलुरु टीम ने 11 में से नौ में जीत हासिल की थी और धोनी अच्छी तरह जानते थे कि गेल चल गए तो उनके गेंदबाजों का तेल निकाल देंगे।
चेन्नई ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 205 रन का मजबूत स्कोर खड़ा किया, लेकिन धोनी के सामने असली चुनौती गेल को सस्ते में निपटाने की थी क्योंकि गेल चलते तो बेंगलुरु के लिए 206 रन का लक्ष्य छोटा पड़ सकता था। आखिर कर्मयुद्ध के इस अंतिम पड़ाव में धोनी ने धुरंधर गेल के लिए ऐसा चक्रब्यूह रचा कि वे इससे निकल नहीं पाए।
धोनी ने पहले ही ओवर में गेंद ऑफ स्पिनर रविचंद्रन अश्विन को थमाई। अश्विन ने ओवर की चौथी गेंद में चतुराई से पेस में परिवर्तन किया और गेल चकमा खा गए। गेंद उनके बल्ले का किनारा लेकर विकेटकीपर धोनी के दस्तानों में समा गई। धोनी की रणनीति काम कर गई और चेन्नई का एक बार फिर चैंपियन बनना उसी समय तय हो गया।
धोनी के बारे में कहा जाता है कि वे मिट्टी को छू लेते हैं तो वह भी सोना बन जाती है। उन्होंने बार-बार इसे साबित भी किया है। उनकी कप्तानी में भारत ने वर्ष 2007 में सभी को चौंकाते हुए ट्वेंटी-20 विश्वकप का खिताब जीता था। उसके बाद तो धोनी ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और एक के बाद एक कई सफलताएं अर्जित करते चले गए।
यह माही की कप्तानी का करिश्मा था कि भारत दिसंबर 2009 में पहली बार आईसीसी टेस्ट रैंकिंग में शीर्ष पर पहुंचा और तबसे उसने अपना दबदबा बनाए रखा है। इतना ही नहीं कैप्टन कूल धोनी ने भारत को 28 वर्ष बाद वनडे विश्वकप का खिताब जिताकर अपनी कप्तानी का लोहा मनवाया है।
आईपीएल में धोनी की टीम चेन्नई सुपरकिंग्स तीन बार फाइनल में पहुंची है, जिसमें से दो बार उसने खिताब पर कब्जा किया है। धोनी पिछले वर्ष चैंपियंस लीग टवंटी-20 टूर्नामेंट में भी अपनी टीम को चैंपियन बनाने में सफल रहे। इस तरह धोनी ने साबित कर दिया कि खेल के तीनों प्रारूपों में कोई उनका सानी नहीं है।
आईपीएल का चौथा संस्करण शुरू होने से पहले टीम इंडिया में धोनी के साथी खिलाडी सहवाग, युवराज और गंभीर ने दावा किया था कि वे माही की कप्तानी से वाकिफ हैं और उनकी चालों का मुंहतोड़ जवाब देंगे। सहवाग दिल्ली डेयरडेविल्स, युवराज पुणे वारियर्स और गंभीर कोलकाता नाइटराइडर्स के कप्तान थे।
दिल्ली की टीम टूर्नामेंट में सबसे फिसड्डी रही, जबकि युवराज की पुणे वारियर्स दिल्ली से एक स्थान ऊपर नौवें स्थान पर रही। नाइटराइडर्स की टीम भी एलिमिनेटर में बाहर हो गई। धोनी के आगे इन सबकी दबंगई धरी की धरी गई।
क्रिकेट की दुनिया में भगवान का दर्जा पा चुके मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंडुलकर भी धोनी की कप्तानी के कायल हैं। विश्वकप के बाद सचिन ने स्वयं स्वीकार किया था कि वे अब तक जितने भी कप्तानों के अंडर में खेले हैं, उनमें धोनी सर्वश्रेष्ठ हैं। धोनी की कप्तानी के लिए इससे बड़ा प्रमाणपत्र क्या हो सकता है?
बेहतरीन रणनीतिकार होने के साथ-साथ धोनी ने नाजुक मौकों पर शानदार पारियां खेलकर टीम को संकट से उबारा है। विश्वकप के फाइनल में नाबाद 91 रन की पारी इसका सबूत है। धोनी ने आईपीएल-4 में 43.55 के औसत से 392 रन बनाएट वे आईपीएल में खिताब जीतने वाले एकमात्र भारतीय कप्तान हैं।
नाजुक मौकों पर संयम बनाए रखना और साहसिक फैसले लेना धोनी की सबसे बड़ी खूबी है। साथ ही वे अपने खिलाड़ियों का भरपूर साथ देते हैं और उनकी काबिलियत पर भरोसा करते हैं। विश्वकप से पहले जब युवराज बुरे दौर से गुजर रहे थे तब धोनी उनके साथ खड़े थे। आखिर युवराज ने विश्वकप में शानदार प्रदर्शन करते हुए धोनी को सही साबित किया और आलोचकों के मुंह पर ताले जड़ दिए।
धोनी अपने खिलाडियों पर कितना विश्वास करते हैं इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि आईपीएल4 के अंतिम छह मैचों में उन्होंने अंतिम एकादश में कोई बदलाव नहीं किया। धोनी की बेमिसाल रणनीति और नेतृत्व क्षमता के आगे आईपीएल में सभी विपक्षी कप्तान पानी भरते नजर आए और कैप्टन कूल को खिताब ले जाने से नहीं रोक सके।
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