प्रकृति हमें जीवन और समृद्धि तो देती ही है पर साथ ही बीमार होने पर हमें उससे छुटकारा भी दिलाती है। आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा, होम्योपेथिक...आदि चिकित्सा पद्धतियां तो पूरी तरह से प्रकृति और उसके अंगों की सहायता से ही रोगी को रोग से छुटकारा दिलाती है। यह बात एक बार फिर से साबित की स्वादिष्ट मशरूम ने। जी हां मशरूम ने....
हाल ही में अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों ने अपने शोध के आधार पर दावा किया है कि प्रोस्टेट कैंसर को मिटाने में एशियाई क्षेत्रों में प्रयुक्त चिकित्सकीय मशरूम बेहद कारगर है। क्वींसलैंड यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नालॉजी के वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि तुर्की टेल मशरूम प्रयोगशाला में चूहों में प्रोस्टेट कैंसर को विकसित होने से दबाने में 100 फीसदी कारगर सिद्ध हुआ है।
यह शोध -पीएल ओएस वन- जर्नल में प्रकाशित हुआ है।
तुर्की टेल मशरूम में मिलने वाले तत्व पॉलीसेकैरोपेप्टाइड के बारे में पता चला है कि यह चूहों में प्रोस्टेट कैंसर स्टेम कोशिकाओं को निशाना बनाते हुए ट्यूमर बनने की संभावना को कम करता है। निश्चित ही यह शोध इस बीमारी से लडऩे में अहम् कदम साबित हो सकता है। इसकी प्रयोग की एक खाशियत यह भी रही कि इससे ट्यूमर का विकास तो पूरी तरह से रुक ही जाता है साथ ही इसका कोई नकारात्मक प्रभाव यानी साइट इफेक्ट भी नहीं होता।
हाल ही में अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों ने अपने शोध के आधार पर दावा किया है कि प्रोस्टेट कैंसर को मिटाने में एशियाई क्षेत्रों में प्रयुक्त चिकित्सकीय मशरूम बेहद कारगर है। क्वींसलैंड यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नालॉजी के वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि तुर्की टेल मशरूम प्रयोगशाला में चूहों में प्रोस्टेट कैंसर को विकसित होने से दबाने में 100 फीसदी कारगर सिद्ध हुआ है।
यह शोध -पीएल ओएस वन- जर्नल में प्रकाशित हुआ है।
तुर्की टेल मशरूम में मिलने वाले तत्व पॉलीसेकैरोपेप्टाइड के बारे में पता चला है कि यह चूहों में प्रोस्टेट कैंसर स्टेम कोशिकाओं को निशाना बनाते हुए ट्यूमर बनने की संभावना को कम करता है। निश्चित ही यह शोध इस बीमारी से लडऩे में अहम् कदम साबित हो सकता है। इसकी प्रयोग की एक खाशियत यह भी रही कि इससे ट्यूमर का विकास तो पूरी तरह से रुक ही जाता है साथ ही इसका कोई नकारात्मक प्रभाव यानी साइट इफेक्ट भी नहीं होता।
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