शनि देव को न्याय करने वाला माना गया है कई बार कुछ लोगों से जाने-अनजाने में कुछ अधार्मिक कर्म हो जाते हैं, जिनका फल निश्चित ही बुरा होता है। शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या को सबसे अधिक बुरा फल देने वाला समय माना गया है। इस दौरान व्यक्ति को कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
शनि देव किसी भी तरह से ना रूठे और उनकी प्रसन्नता हमेशा बनी रहे इसीलिए शनिवार को घर में तेल नहीं लाया जाता है साथ ही घर में लोहा भी नहीं लाना चाहिए ऐसी मान्यता है। शनि को लोहा प्रिय है, किन्तु शनिवार को लोहा घर में नहीं लाया जाता। जिस धातु को शनि सर्वाधिक पसंद करते हैं, उसी धातु का घर में शनिवार को आना पीडादायक और कलहकारक सिद्घ होता है।
ऐसा तभी होता है जबकि निजी उपयोग के लिए शनिवार को लोहा (किसी भी रूप में) खरीदा जाये या घर में लाया जाये, लेकिन पूजा करने हेतु अथवा विधिपूर्वक धारण करने हेतु लोहा प्राप्त किया जाये तो शनि प्रसन्न होते हैं। शनिवार को लोहे के दान से भी शनि की प्रसन्नता होती है। शनिदेव के अशुभ प्रभावों की शांति हेतु लोहा धारण किया जाता है किन्तु यह लौह मुद्रिका सामान्य लोहे की नहीं बनाई जाती। काले घोडे की नाल की बनाई जाती है।
शनि देव किसी भी तरह से ना रूठे और उनकी प्रसन्नता हमेशा बनी रहे इसीलिए शनिवार को घर में तेल नहीं लाया जाता है साथ ही घर में लोहा भी नहीं लाना चाहिए ऐसी मान्यता है। शनि को लोहा प्रिय है, किन्तु शनिवार को लोहा घर में नहीं लाया जाता। जिस धातु को शनि सर्वाधिक पसंद करते हैं, उसी धातु का घर में शनिवार को आना पीडादायक और कलहकारक सिद्घ होता है।
ऐसा तभी होता है जबकि निजी उपयोग के लिए शनिवार को लोहा (किसी भी रूप में) खरीदा जाये या घर में लाया जाये, लेकिन पूजा करने हेतु अथवा विधिपूर्वक धारण करने हेतु लोहा प्राप्त किया जाये तो शनि प्रसन्न होते हैं। शनिवार को लोहे के दान से भी शनि की प्रसन्नता होती है। शनिदेव के अशुभ प्रभावों की शांति हेतु लोहा धारण किया जाता है किन्तु यह लौह मुद्रिका सामान्य लोहे की नहीं बनाई जाती। काले घोडे की नाल की बनाई जाती है।
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