रविवार, 8 मई 2011

...बाद में पछताने से क्या फायदा?

अधिकतर माता-पिता अपने बच्चों से किसी तरह की गलती होने पर उनसे दो तरह का व्यवहार करते हैं या तो वे अपने बच्चों को समझाने के लिए उन्हें मारते पीटते हैं या फि र उनकी गलत बात पर भी उन्हें नहीं टोकते और मोह के कारण उन्हें अपना लेते हैं।
महाभारत का यह दृश्य हमें यही सीख देता है कि दोनों तरह का व्यवहार ही आपके और आपकी संतान के लिए बुरा हो सकता है इसलिए जब आपकी संतान किसी ऐसी बात के लिए जिद करे जो उसके आने वाले कल को प्रभावित कर सकती है तो ऐसे में उसके मोह में अंधे ना हो बल्कि उसे समझाएं व उचित मार्गदर्शन करें वरना बाद में पछताने के अलावा कोई रास्ता नहीं रह जाता।

राजा धृतराष्ट्र को अर्जुन के स्वर्ग में निवास करने का समाचार वेदव्यास जी से मिला। उनके जाने के बाद धृतराष्ट्र ने संजय से कहा- संजय मैंने अर्जुन के स्वर्ग में रहने का समाचार सुना। क्या तुम्हे इस बात का पता है? मेरे पुत्र दुर्योधन की बुद्धि मन्द है। इसी से वह बुरे कामों में लगा रहता है। वह अपनी दुष्टता के कारण राज्य का नाश कर देगा। युधिष्ठिर बहुत धर्मात्मा है। वे साधारण बात में भी कभी झूठ नहीं बोलते है। उन्हें अर्जुन जैसा भाई मिला है। वे चाहें तो तीनो लोकों पर राज कर सकते हैं।
जिस समय अर्जुन अपने बाणों का उपयोग करेगा। उस समय भला उसके सामने कौन खड़ा होगा। संजय ने कहा- महाराज आपने दुर्योधन के बारे में जो बात कही है वह सच है। अर्जुन के संबंध में मैंने यह सुना है कि उन्होंने युद्ध में अपने धनुष का बल दिखाकर भगवान शंकर को प्रसन्न कर लिया है।
अर्जुन की परीक्षा लेने के लिए भगवान शंकर स्वयं भील का वेष धारण करके उनके पास आए उनसे युद्ध किया था। उन्होंने युद्ध में प्रसन्न होकर अर्जुन को दिव्य अस्त्र दिया। अर्जुन की तपस्या से खुश होकर सभी लोकपालों ने भी उसे दिव्य अस्त्र व शस्त्र दिए। ऐसा अर्जुन के सिवा और कौन है? अर्जुन का बल अपार है उनकी शक्ति अपरिमित है। धृतराष्ट्र ने कहा संजय मेरे पुत्रों ने पांडवों को बहुत कष्ट दिया है।
उनका बहुत अपमान किया है। हमारे पक्ष में ऐसा कोई भी योद्धा नहीं है जो पांडवों से ज्यादा योग्य हो। मैंने दुर्योधन की बात में आकर अपने हितैषी लोगों की बात नहीं मानी। अब लगता है कि मुझे बहुत पछताना पड़ेगा। संजय ने कहा महाराज आप सब कर सकते थे लेकिन आप अपने पुत्र के मोह के कारण उसे बुरे काम करने से नहीं रोक पाएं।

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