शनिवार, 7 मई 2011

क्या वाकई सभी में भगवान होता है?

ऐसा नहीं है कि अगर कोई अनुचित कर्म करे तो उसे ईश्वर की मरजी मानकर क्षमा कर दिया जाए तो उचित होगा। मायावी संसार में व्यवस्था बनाए रखने के लिए जरुरी है कि मायावी कानून बने और मायावी दंड भी दिए जाएँ। इस सम्बन्ध में एक कथा बड़ी सटीक और प्रासंगिक है। यह सुन्दर कथा प्रेममूर्ति स्वामी रामकृष्ण परमहंस के मुखारविंद से निस्सृत है, यानी परमहंसजी ने अपने भक्तों को यह कथा सुनाई थी....
एक दिन शिष्य को उसके गुरु ने बताया कि सभी जीवों में ईश्वर है इसलिए सबसे प्रेम करो, किसी से भी नहीं डरो। एक दिन शिष्य जब भिक्षाटन पर था तब किसी राजा का हाथी पगला गया। चौराहे पर भगदड़ मच गई। सब भागने लगे। लेकिन शिष्य नहीं भागा। उसने सोचा कि गुरूजी के अनुसार तो यह हाथी भी ईश्वर है, इसलिए क्यों भागा जाए?लोग चिल्ला रहे थे उसे सचेत करने लिए कि भागो हाथी तुम्हें कुचल देगा। लेकिन वह नहीं भागा और खड़ा रहा। परिणामस्वरूप हाथी ने उसे घायल कर दिया। गुरूजी को मालूम हुआ तो राजकीय आरोग्यशाला में भागे-भागे आए और शिष्य से पूछा कि यह गजब हुआ कैसे? तो शिष्य ने कहा कि हाथी में जो ईश्वर था उसने मुझे घायल कर दिया। तब गुरूजी ने कहा कि मूर्ख, सिर्फ हाथी में ही ईश्वर था और तुम्हें जो लोग सचेत कर रहे थे, समझा रहे थे कि दूर हट जाओ उनमें ईश्वर नहीं था क्या?
कथा से जो सबक मिलता है वह यह है कि कभी भी सिर्फ शब्दों पर ही नहीं अटकना चाहिये। हर बात की गहराई में जाकर असलियत की जांच-पड़ताल करना चाहिये।

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