बुधवार, 4 मई 2011

गुजरात में बनेगा डायनासोर पर्यटन केंद्र

गुजरात में खेड़ा जिले के रायोली गाँव में जल्द ही डायनासोर जीवाश्म पार्क देखने को मिलेगा। इस जगह कभी बड़ी संख्या में इस विशालकाय जीव की आबादी रहा करती थी।
यहाँ से लगभग 85 किलोमीटर दूर बालासिनोर के रायोली गाँव में डायनासोर के एक हजार अंडों के जीवाश्म मिले हैं। इस जगह को अब डायनासोर पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित किया जा रहा है। इस स्थल की देखरेख का जिम्मा गुजरात पारिस्थितिकीय एवं अनुसंधान संस्थान के पास है।

पर्यटन मंत्री जयनारायण व्यास ने कहा कि बालासिनोर डायनासोर पार्क लाल चिड़िया वाले कच्छ या सासन गिर स्थित एशियाई शेरों के अभयारण्य की तरह ही एक अद्भुत स्थल है। हम इन स्थलों को विकसित करने और इन्हें अंतरराष्ट्रीय आकर्षण का केंद्र बनाने के लिए लगातार काम कर रहे हैं।
रायोली गाँव में सबसे पहले 1981 में डायनासोर के जीवाश्म मिले थे। इन्हें भारतीय भूगर्भीय सर्वेक्षण ने खोजा था। इसके एक साल बाद डायनासोर के एक हजार अंडे मिले, जिससे यह जीवाश्म वैज्ञानिकों का पसंदीदा स्थल बन गया।
वैज्ञानिकों का कहना है कि यहाँ डायनासोर की कम से कम सात प्रजातियाँ रहा करती थीं। जीवाश्म लगभग साढ़े छह करोड़ साल पुराने हैं। व्यास ने कहा कि आमतौर पर माना जाता है कि यह स्थान शिवा ज्वालामुखी का हिस्सा था, जो लाखों साल पहले एक उल्कापिंड की टक्वर से बना था।
वैज्ञानिकों का मानना है कि उल्का की टक्कर और बाद में ज्वालामुखी फूटने से यह क्षेत्र तबाह हो गया। राज्य सरकार ने जीवाश्म पार्क के विकास के लिए छह करोड़ रुपए मुहैया कराए हैं और वर्तमान में इस पर काम चल रहा है। बहुत से जीवाश्म विज्ञानी इस क्षेत्र का दौरा कर चुके हैं।

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