कहते हैं भगवान हर जगह है। उनके निवास का कोई निश्चित स्थान नहीं है। उसे देखने के लिए उसे पाने के लिए बस आवश्यकता है आपके विश्वास और श्रद्धा की। कहने में तो यह बात बड़ी सरल लगती है लेकिन मानने और अनुभव में बहुत फर्क होता है। भगवान कहां है और कहां नहीं है? इस शाश्वत प्रश्र का माकूल जवाब खोजने के लिये आइये चलते हैं एक रोचक प्रसंग की ओर....
एक बार गुरुनानक देव मक्का में गए। सफर की लम्बी थकान के बाद वे एक पेड़ के नीचे सो गए।उस समय उनके पैर काबा की ओर थे। तभी वहां से दो आदमी गुजरे यह देख उन्होने नानकदेव को जगाया और कहा कि तुम्हारे पैर काबा की तरफ हैं दूसरी तरफ पैर करके सो जाओ। नानक देव बोले भाई मुझे तो सभी जगह काबा नजर आ रहा है। उन दोनों ने नानक देव की बात अनसुनी कर नानकदेव के पैर पकड़े और घुमाकर दूसरी तरफ कर दिए।
नानक हंसने लगे और बोले मुझे तो इस तरफ भी काबा नजर आ रहा है। दौनों लोगों ने देखा कि सच में काबा उसी तरफ दिखाई दे रहा था जिस तरफ नानक के पैर थे। उन्होनें फिर नानक देव के पैर उठाऐ और दूसरी ओर कर दिए ।लेकिन अभी भी काबा उसी ओर दिखाई देने लगा जिस तरफ नानक के पैर थे। तब दोनों आदमी नानक जी के पैरों में गिरकर माफी मांगने लगे। तब नानक देव ने समझाया कि ईश्वर हर दिशा में बसता है हर कण मे बसता है। मन मे सच्ची श्रद्धा रखो तो उसके दर्शन सभी जगह हो जाते हैं।
एक बार गुरुनानक देव मक्का में गए। सफर की लम्बी थकान के बाद वे एक पेड़ के नीचे सो गए।उस समय उनके पैर काबा की ओर थे। तभी वहां से दो आदमी गुजरे यह देख उन्होने नानकदेव को जगाया और कहा कि तुम्हारे पैर काबा की तरफ हैं दूसरी तरफ पैर करके सो जाओ। नानक देव बोले भाई मुझे तो सभी जगह काबा नजर आ रहा है। उन दोनों ने नानक देव की बात अनसुनी कर नानकदेव के पैर पकड़े और घुमाकर दूसरी तरफ कर दिए।
नानक हंसने लगे और बोले मुझे तो इस तरफ भी काबा नजर आ रहा है। दौनों लोगों ने देखा कि सच में काबा उसी तरफ दिखाई दे रहा था जिस तरफ नानक के पैर थे। उन्होनें फिर नानक देव के पैर उठाऐ और दूसरी ओर कर दिए ।लेकिन अभी भी काबा उसी ओर दिखाई देने लगा जिस तरफ नानक के पैर थे। तब दोनों आदमी नानक जी के पैरों में गिरकर माफी मांगने लगे। तब नानक देव ने समझाया कि ईश्वर हर दिशा में बसता है हर कण मे बसता है। मन मे सच्ची श्रद्धा रखो तो उसके दर्शन सभी जगह हो जाते हैं।
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