शनिवार, 4 जून 2011

यहां शादी में जूते नहीं चुराते बल्कि पौधे लगवाते हैं...

दूल्हन के देवर तुम दिख लाओ ना युं तेवर जूते लिए हैं नहीं चुराया कोई जेवर जूते ले लो पैसे दे दो। फिल्म हम आपके हैं कौन का ये सुपर हिट गाना सुनते ही याद आ जाती है। शादी में जूते चुराई की रस्म के समय होने वाली मस्ती व हंसी ठिठौली की। लेकिन भारत में उत्तराखंड के कुछ गांव ऐसे भी हैं जहां अब जूते चुराने की परंपरा नहीं है बल्कि उसकी जगह पिछले कुछ दशकों से एक नई परंपरा ने ले ली है। इस परंपरा के तहत साली दूल्हे के जूते चुराकर उनसे पैसे नहीं मांगती बल्कि मैती की यानी मायके में पौधा लगवाने की इस रस्म के तहत सालियां दूल्हे से पौधा लगवाती हैं।
इस रस्म के तहत गांव में लड़कियां गांव में किसी भी सुरक्षित स्थान पर पेड़ लगाती है। हर लड़की एक पौधा लगाती है और उसे देवता की तरह पूजती है। वह उसे बड़े ही प्यार से सहजती है उसकी देखभाल करती है और शादी के समय उस पौधे को सभी रिश्तेदारों की उपस्थित में दूल्हे से लगवाया जाता है जो एक तरह से दुल्हन के मायके में उसके व उसकी पति की निशानी के रूप में रहता है। मैती परंपरा से प्रभावित होकर कनाडा सहित अमेरिका, ऑस्ट्रिया, नार्वे, चीन, थाईलैंड और नेपाल में भी विवाह के मौके पर पेड़ लगाए जाने लगे है।

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