मंगलवार, 29 सितंबर 2015

धर्मेन्द्र चौबे का थियेटर से फिल्मो तक का सफर

इतिहास बनाना ही मेरा मकसद है 
जिस दिन मरुँ लोग मेरे पीछे चले 
छत्तीसगढ़ फिल्म इंडस्ट्री में धर्मेन्द्र चौबे को कौन नहीं जानता वे एक जाना पहचाना नाम है। अभी हाल ही ने प्रदर्शित उनकी फिल्म राजा छत्तीसगढिय़ा सिनेमा घरों में काफी धूम मचा रही है। वे कहतें हैं कि इतिहास बनाना ही मेरा मकसद है और जिस दिन मरुँ लोग मेरे पीछे चले । थियेटर से कॅरियर की शुरुआत करने वाले धर्मेन्द्र अब तक 36 फिल्मो में अपनी अभिनय का लोहा मनवा चुके है। इसके अलावा वे निर्देशक, निर्माता और शानदार विलेन भी है । उनसे हमने हर पहलूओं पर बेबाक बात की है। प्रस्तुत है बातचीत के संपादित अंश।
0 फिल्म राजा छत्तीसगढिय़ा के शानदार प्रदर्शन की उम्मीद थी ?
00 यह फिल्म हमारी उम्मीदों पर खरा उत्तरी है। इसे दर्शकों ने खूब पसंद किया। पूरे छत्तीसगढ़ के टाकीजों में धूम मचा रही है । इससे यही सन्देश जाता है कि छत्तीसगढ़ी फिल्मों के अच्छे दिन आ गए हैं। इस फिल्म में हमारी कल्चर दिखती है फिर सबने अच्छी मेहनत की थी । जिसका परिणाम है।
0 आपको एक्टिंग का शौक कब से है ?
00 मुझे एक्टिंग का शौक बचपन से ही रहा है। 1996 में मै थियेटर से जुड़ा फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा । फिल्म देख- देखकर मैं कलाकारों की नक़ल किया करता था। एक्टिंग में रूचि बचपन से ही था पर मौका नहीं मिल रहा था। मैं बहुत कुछ करना चाहता हूँ इस क्षेत्र में ।
0 फिर मौका कैसे मिला और आपके प्रेरणाश्रोत कौन है ?
00 फिल्म छईंया भुईंया की शूटिंग देखने सुरेश निगम के साथ गया था ,जहां मुझे सतीश जैन जी ने पूछा - एक्टिंग में रूचि है ,जब मैंने हाँ कहा तो उसी फिल्म में मुझे काम दिया । जो सबको पसंद आया।
0 कभी आपने सोचा था की फिल्मो को ही अपना कॅरियर बनाएंगे ?
00 हाँ ! शुरू से ही मै एक्टिंग को कॅरियर बनाने की सोचकर चल रहा था।
0  छालीवुड फिल्मो में आपको कैसी भूमिका पसंद है या आप कैसे रोल चाहेंगे।
00  मैं हर तरह की भूमिका निभाना चाहूंगा ताकि मुझे सभी प्रकार का अनुभव हो। छोटे बड़े सभी रोल मुझे पसंद है। पर विलेन की भूमिका मुझे ज्यादा पसंद है।
0 सरकार से क्या अपेक्षाएं हैं?
00 सरकार अभिभावक की भूमिका में आये और छालीवुड को मदद करे।
0 कोई ऐसा अवसर आया हो ,जब आप बहुत उत्साहित हुई हो?
00 हमेशा उत्साहित रहता हूँ । इसके लिए कोई ख़ास समय की जरुरत नहीं होती ।
0 ऐसा कोई क्षण जब निराशा मिली हो?
00 कभी नहीं। मैं कभी निराश नहीं होता। हारने जैसे माहौल में भी ऊर्जा पैदा करता हूँ।
0 आपका कोई सपना है जो आप पूरा होते देखना चाहती हैं?
00 इतिहास बनाना ही मेरा मकसद है । जिस दिन मरुँ लोग मेरे पीछे चले ।
0  आप फिल्म करवट बनाने जा रहे हैं । ये आईडिया कहाँ से मिला?
00 फिल्म मांझी देखकर। उस फिल्म का कांसेप्ट मुझे बहुत ही पसंद आया फिर सोचा की ऐसा मैं भी कुछ करूँ।



कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें