मंगलवार, 29 सितंबर 2015

संगीत मेरा शौक नहीं इबादत है : अनिल

0 मुकेश की हूबहू आवाज निकालते है 
प्रशासनिक अधिकारी अनिल कोचर संगीत की दुनिया में एक जाना पहचाना नाम है। मुकेश की आवाज में वे जब गाते है तो लोगो को पुराने दिन याद आ जाते हैं और वे अपने बीच मुकेश के होने का एहसास करते हैं। शासकीय सेवा में आने से पहले ही अनिल कोचर संगीत का जादू बिखेरने की राह पर चल पड़े थे। वे कहते हैं कि संगीत मेरा शौक नहीं इबादत है। आनंद जी कल्याण जी से सम्मानित होकर अनिल बेहद गौरान्वित महसूस करते हैं। टी सीरीज में उनका एल्बम मौजूद है। साथ ही दिशा टीवी में काव्यांजली में वे अपनी आवाज का जादू दिखा चुके हैं। प्रस्तुत है बातचीत के संपादित अंश।
0 आपको गाने का शौक कब से है ?
00 मुझे गाने का शौक बचपन से ही रहा है।  गाने में रूचि शुरू से ही था पर मौका नहीं मिल रहा था। मैं बहुत कुछ करना चाहता हूँ इस क्षेत्र में ।
0 आप मुकेश की आवाज में कैसे गा लेते हैं?
00 इसके लिए मैंने बहुत ही प्रेक्टिस की है और मेरी मेहनत का ही फल है कि आज मैं इस मुकाम पर हूँ।
0 सरकारी नौकरी में होते हुए भी आप गाने के लिए समय कैसे निकाल लेते हैं?
00 निकालना पड़ता है वह भी जीवन का एक हिस्सा है। मन में लगन हो तो सब कुछ संभव है।
0 आज के युवा पुराने गीतों को महत्त्व नहीं देते क्यों?
00 ऐसा नहीं है आज भी पुराने गानों के प्रति लोगो का रुझान है। पुराने गीत सदाबहार है और रहेंगे।
0 आपके प्रेरणाश्रोत कौन है ?
00  मैंने अपने से ही गाने की शुरुआत  की है और काफी संघर्ष भी किया है। मेरा कोई रोल मॉडल नहीं है।
0 कभी आपने सोचा था की गानों में इतना लोकप्रिय हो जाएंगे?
00 नहीं ! पर अब लगता है कि गाने ने मुझे ज्यादा लोकप्रिय बना दिया है।
0 कोई ऐसा अवसर आया हो ,जब आप बहुत उत्साहित हुई हो?
00 जब कल्याण जी ने मुझे बेहतर गाने और आवाज के लिए सम्मानित किया था।
0 ऐसा कोई क्षण जब निराशा मिली हो?
00 कभी नहीं। मैं कभी निराश नहीं होता।
0 आपका कोई सपना है जो आप पूरा होते देखना चाहते हो ?
00 मेरा सपना है कि गानों में बॉलीवुड में छा जाऊं।



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