बिपाशा बसु की उर्दू
जुलाई में राहुल ढोलकिया द्वारा निर्देशित फिल्म ‘लम्हा’ रिलीज होने जा रही है जो कश्मीर की वर्तमान समस्याओं के बारे में है। इसमें बिपाशा बसु ने प्रमुख भूमिका निभाई है।
अपनी इमेज से हटकर या बिना चमक-दमक वाली भूमिका निभाने की जिद ए-स्टार एक्ट्रेसेस में देखी जाती है। जैसे कैटरीना ने ‘राजनीति’ में लीक से हटकर रोल किया है कुछ इसी तरह बिपाशा ने भी ‘लम्हा’ में किया है।
ये भूमिकाएँ ग्लैमरस और हॉट कही जाने वाली एक्ट्रेस इसलिए चुनती है ताकि उन्हें पुरस्कार मिल जाए। उन्हें इस बात पर अटूट विश्वास है कि बिना मैकअप वाले रोल निभाने पर ही प्रतिष्ठित पुरस्कार मिलते हैं।
पैसा और प्रसिद्धी बिपाशा पा चुकी हैं और उनकी नजर अब पुरस्कारों पर है। राष्ट्रीय पुरस्कार की दौड़ में कलाकार तभी शामिल हो सकता है जब उसने अपने संवादों को खुद ही डब किया हो।
‘लम्हा’ में बिपाशा कश्मीरी गर्ल बनी हैं और उर्दू का ज्यादा उपयोग किया गया है। हिंदी ठीक से नहीं बोल पाने वाली बिपाशा को उर्दू शब्दों के उच्चारण में कितनी तकलीफ होगी, इसका अंदाजा ही लगाया जा सकता है। लेकिन बिपाशा ने भी ठान ली है और इन दिनों वे उच्चारण पर मेहनत कर ‘लम्हा’ की डबिंग कर रही है।
गौरतलब है कि बिपाशा की मातृभाषा बंगाली है और इसके बावजूद निर्देशक रितुपर्णा सेन ने बिपाशा द्वारा अभिनीत बांग्ला फिल्म ‘सॉब चारित्रो काल्पोनिक’ की डबिंग किसी और से कराने का निर्णय लिया था। बिपाशा की नजर राष्ट्रीय पुरस्कार पर थी और उन्होंने रितुपर्णा से इस बात को लेकर गुस्सा भी जाहिर किया था।
कश्मीरी मुस्लिम गर्ल बनी बिपाशा ने कितनी सही तरह से उर्दू बोली है इसका पता तो ‘लम्हा’ देखकर ही पता चलेगा। बिपाशा से ज्यादा तनाव में तो राहुल होंगे।
60 वर्ष की प्रियंका चोपड़ा
प्रियंका चोपड़ा ने अपनी एक्टिंग के बलबूते पर वो स्थान हासिल कर लिया है कि उन्हें चुनौतीपूर्ण भूमिकाएँ निर्देशक सौंपने लगे हैं। ऐसा ही एक रोल प्रियंका ‘सात खून माफ’ में निभा रही हैं और प्रियंका का कहना है कि ऐसे मौके एक एक्टर की लाइफ में यदाकदा ही मिलते हैं।
‘कमीने’ में प्रियंका ने विशाल भारद्वाज की आशा से बेहतर अभिनय किया और बदले में विशाल ने उन्हें ‘सात खून माफ’ में कठिन रोल दे दिया। इसमें प्रियंका अपने सात पतियों की हत्या कर देती है। इस फिल्म में नसीरुद्दीन शाह भी उनके पति बने हैं और उनका बेटा भी प्रियंका के पति के रूप में नजर आएगा।
फिल्म में प्रियंका 20 वर्षीय लड़की से लेकर 60 वर्ष की तक की बुढ़िया बनेंगी। उम्र के अलग-अलग पड़ाव पर वे शादी कर अपने पतियों का खून करती हैं। प्रियंका के लिए सबसे कठिन चैलेंज है 60 वर्ष की महिला का पात्र निभाना।
प्रियंका का मानना है कि केवल बाल सफेद करने या झुर्रियों वाले मेकअप से ही बात नहीं बनती है। वे बॉडी लैंग्वेज, आवाज और एक्सप्रेशन के जरिये इस पात्र को प्रभावशाली बनाना चाहती हैं। प्रियंका की विशाल यथासंभव मदद कर रहे हैं।
जुलाई में राहुल ढोलकिया द्वारा निर्देशित फिल्म ‘लम्हा’ रिलीज होने जा रही है जो कश्मीर की वर्तमान समस्याओं के बारे में है। इसमें बिपाशा बसु ने प्रमुख भूमिका निभाई है।
अपनी इमेज से हटकर या बिना चमक-दमक वाली भूमिका निभाने की जिद ए-स्टार एक्ट्रेसेस में देखी जाती है। जैसे कैटरीना ने ‘राजनीति’ में लीक से हटकर रोल किया है कुछ इसी तरह बिपाशा ने भी ‘लम्हा’ में किया है।
ये भूमिकाएँ ग्लैमरस और हॉट कही जाने वाली एक्ट्रेस इसलिए चुनती है ताकि उन्हें पुरस्कार मिल जाए। उन्हें इस बात पर अटूट विश्वास है कि बिना मैकअप वाले रोल निभाने पर ही प्रतिष्ठित पुरस्कार मिलते हैं।
पैसा और प्रसिद्धी बिपाशा पा चुकी हैं और उनकी नजर अब पुरस्कारों पर है। राष्ट्रीय पुरस्कार की दौड़ में कलाकार तभी शामिल हो सकता है जब उसने अपने संवादों को खुद ही डब किया हो।
‘लम्हा’ में बिपाशा कश्मीरी गर्ल बनी हैं और उर्दू का ज्यादा उपयोग किया गया है। हिंदी ठीक से नहीं बोल पाने वाली बिपाशा को उर्दू शब्दों के उच्चारण में कितनी तकलीफ होगी, इसका अंदाजा ही लगाया जा सकता है। लेकिन बिपाशा ने भी ठान ली है और इन दिनों वे उच्चारण पर मेहनत कर ‘लम्हा’ की डबिंग कर रही है।
गौरतलब है कि बिपाशा की मातृभाषा बंगाली है और इसके बावजूद निर्देशक रितुपर्णा सेन ने बिपाशा द्वारा अभिनीत बांग्ला फिल्म ‘सॉब चारित्रो काल्पोनिक’ की डबिंग किसी और से कराने का निर्णय लिया था। बिपाशा की नजर राष्ट्रीय पुरस्कार पर थी और उन्होंने रितुपर्णा से इस बात को लेकर गुस्सा भी जाहिर किया था।
कश्मीरी मुस्लिम गर्ल बनी बिपाशा ने कितनी सही तरह से उर्दू बोली है इसका पता तो ‘लम्हा’ देखकर ही पता चलेगा। बिपाशा से ज्यादा तनाव में तो राहुल होंगे।
60 वर्ष की प्रियंका चोपड़ा
प्रियंका चोपड़ा ने अपनी एक्टिंग के बलबूते पर वो स्थान हासिल कर लिया है कि उन्हें चुनौतीपूर्ण भूमिकाएँ निर्देशक सौंपने लगे हैं। ऐसा ही एक रोल प्रियंका ‘सात खून माफ’ में निभा रही हैं और प्रियंका का कहना है कि ऐसे मौके एक एक्टर की लाइफ में यदाकदा ही मिलते हैं।
‘कमीने’ में प्रियंका ने विशाल भारद्वाज की आशा से बेहतर अभिनय किया और बदले में विशाल ने उन्हें ‘सात खून माफ’ में कठिन रोल दे दिया। इसमें प्रियंका अपने सात पतियों की हत्या कर देती है। इस फिल्म में नसीरुद्दीन शाह भी उनके पति बने हैं और उनका बेटा भी प्रियंका के पति के रूप में नजर आएगा।
फिल्म में प्रियंका 20 वर्षीय लड़की से लेकर 60 वर्ष की तक की बुढ़िया बनेंगी। उम्र के अलग-अलग पड़ाव पर वे शादी कर अपने पतियों का खून करती हैं। प्रियंका के लिए सबसे कठिन चैलेंज है 60 वर्ष की महिला का पात्र निभाना।
प्रियंका का मानना है कि केवल बाल सफेद करने या झुर्रियों वाले मेकअप से ही बात नहीं बनती है। वे बॉडी लैंग्वेज, आवाज और एक्सप्रेशन के जरिये इस पात्र को प्रभावशाली बनाना चाहती हैं। प्रियंका की विशाल यथासंभव मदद कर रहे हैं।
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