शनिवार, 10 जुलाई 2010

कैसा हो जीवनसाथी

मेरा जीवनसाथी ऐसा हो या वैसा हो
जीवनसाथी को लेकर महिलाओं और पुरुषों की पसंद में अंतर होता है। आम धारणा है कि पुरुष सुंदरता को महत्व देते हैं और महिलाएं आर्थिक स्थायित्व को। लेकिन क्या हर मामले में ऐसा ही होता है..?

आम धारणा है कि पुरुष जवान और ख़ूबसूरत बीवी चाहते हैं, जबकि महिलाएं अपनी उम्र से बड़े व अमीर पति की चाह रखती हैं। गोथनबर्ग और ऑक्सफोर्ड विवि के वैज्ञानिकों का शोध भी यही कह रहा है। यह निष्कर्ष अख़बारों और वेबसाइटों में शादी के लिए दिए गए 400 लोगों के विज्ञापनों की विस्तृत पड़ताल पर आधारित है। लेकिन क्या वाक़ई यही सच है? महिला हो या पुरुष, ज्यादातर को इस तरह का जीवनसाथी नहीं मिल पाता। तो क्या वे ख़ुश नहीं रहते?

जवाब खोजने की क़वायद जारी है। टेक्सास विश्वविद्यालय के डेविड बुस ने 1985 में 37 अलग-अलग संस्कृतियों वाले दस हजार लोगों के साक्षात्कार पर आधारित एक लेख प्रकाशित किया था। इसमें ऐसी 18 संभावित विशेषताओं को सूचीबद्ध किया गया, जो लोग अपने जीवनसाथी में चाहते थे। फिर उनसे इन्हें वरीयता अनुसार अंक देने के लिए कहा गया।

शुरुआत में जिन विशेषताओं को सर्वोच्च वरीयता दी गई, उनके आधार पर सभी संस्कृतियों के महिला-पुरुष, दोनों के विचार समान लगे। दोनों ने ही प्रेम, आपसी निर्भरता, भावात्मक स्थिरता और ख़ुशहाल जीवन को महत्वपूर्ण बताया। इसके आगे विचारों में साफ़ अंतर दिखाई दिया। स्त्रियों की तुलना में पुरुषों के लिए सुंदरता ज्यादा महत्वपूर्ण थी, जबकि महिलाओं के लिए समाजिक स्तर और पैसा। इस विषय पर अब तक हुए सभी शोध यह दावा करते हैं कि यह सब हमारे आनुवंशिक गुणसूत्रों के कारण है, जो स्त्री और पुरुष में इस तरह की मनोभावना पैदा करते हैं।

लेकिन न्यूयार्क स्थित कॉर्नेल यूनिवर्सिटी की मानवशास्त्री मेरेडिथ एफ स्मॉल की राय कुछ और ही है। वे कहती हैं कि इस शोध में लोगों से यह पूछा गया कि वे अपने जीवनसाथी में क्या चाहते हैं, लेकिन लोगों ने क्या पाया, इस पर उनकी राय नहीं ली गई।

मेरेडिथ शोध से अलग अपने निजी जीवन का उदाहरण देते हुए कहती हैं, ‘जॉर्ज क्लूनी (अमेरिकी अभिनेता) मेरे आदर्श जीवनसाथी हो सकते हैं। वे अमीर हैं, लोकप्रिय हैं, और अच्छे पिता भी साबित होंगे। लेकिन जहां तक मैं समझती हूं, जॉर्ज की रुचि मुझमें नहीं है। मगर जिस व्यक्ति से मैंने शादी की है, उसमें जॉर्ज जैसा कुछ भी नही है।’

वे आगे कहती हैं कि मेरा जीवनसाथी उम्र में मुझसे छोटा है, सुंदर है और उसके पास मेरी तुलना में संसाधन भी कम हैं। लेकिन उसने क्या पाया? एक उम्रदराज महिला, जिसमें संतान उत्पत्ति की क्षमता कम है। बावजूद इसके मैं और मेरे पति बहुत खुश हैं। हमारा एक बेटा भी है।’ आगे मेरेडिथ स्त्री-पुरुष के संबंधों के बारे में सवाल करती हैं कि क्या ज्यादातर पुरुष जवान और ख़ूबसूरत औरतों का साथ ही चाहते हैं?

फिर वे ख़ुद ही जवाब देती हैं, ‘नहीं। लोग अपने हमउम्र से ही शादी करना चाहते हैं। इसीलिए धनी बुजुर्गो और कम उम्र के लड़कों की शादी सफल नहीं होती है, क्योंकि ऐसे रिश्ते असंतुलित रहते हैं। और क्या औरत हमेशा मेहनती बूढ़े आदमी के साथ रह पाती है? नहीं, महिलाएं समान समाजिक स्तर वाले हमउम्र का साथ पसंद करती है, जो इतना कमाता हो कि अपने परिवार को संभाल सके।’

मेरेडिथ का मानना है कि यह महत्व नहीं रखता कि शोध क्या कहते हैं। सच तो यह है कि हम उसी साथी के साथ रह सकते हैं, जिसकी रुचि हममें हो और जो हमारे साथ चल सके।

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