शुक्रवार, 16 जुलाई 2010

मूल्यों और आदर्शों की कहानी है रामायण

जीवन के आदर्शों की कहानी रामायण
जीवन मूल्यों और आदर्शों की कहानी है। भगवान राम के जीवनकाल पर आधारित यह कहानी हमें अमूल्य आदर्शों की शिक्षा देती है। राम के ही जीवन काल में उनके समकालीन ब्रह्मर्षि वाल्मीकि ने इस कथा की रचना की थी। यह कथा बताती है कि हमारे आदर्श कैसे हों। आदर्श पिता-माता, पत्नी, भ्राता, इतना ही नहीं महर्षि वाल्मीकि ने अपनी रामकथा में संपूर्ण भारतीय सभ्यता की प्रतिष्ठा गृहस्थाश्रम में स्थापित की है। यह संपूर्ण गृहस्थी और परिवार का ग्रंथ है। रामायण को आदिकाव्य तथा महर्षि वाल्मीकि को आदिकवि की संज्ञा दी गई है। रामायण सात अध्यायों में है। इसके अध्यायों को कांड की संज्ञा दी गई है। इन कांडों के नाम बाल कांड, अयोध्याकांड, अरण्यकांड, किष्किंधा कांड, सुंदर कांड, युद्ध कांड और उत्तरकांड हैं। इसमें राम के जन्म से लेकर उनके महाप्रयाण तक की संपूर्ण कथा है।

कैसे लिखी गई रामायण
रामायण की उत्पत्ति के विषय में एक घटना प्रसिद्ध है। इसमें 24 हजार श्लोक हैं। एक समय महर्षि वाल्मीकि तमसा नदी पर स्नान करने गए। उसी समय एक व्याध ने काम से मोहित मिथुनभाव से स्वतंत्र विचरण करने वाले क्रौञ्च-क्रोञ्ची के जोड़े में से एक को मार दिया। क्रौञ्ची के उस करुण विलाप को सुनकर महर्षि वाल्मीकि का (शोक: श्लोकत्वं आगत:) शोक श्लोक के रूप में परिणित हो गया तथा उसी समय उन्होंने उस व्याध को शाप दिया कि- हे व्याध तूने काम से मोहित हो कौञ्च को मारा है। अत: तुम सदा के लिए प्रतिष्ठा को प्राप्त न करो।महर्षि की इस करुणामयी वाणी को सुनकर ब्रह्मा स्वयं उपस्थित हुए और उन्होंने उन्हें रामकथा पर आधारित काव्य लिखने के लिए प्रेरित किया। रामायण इसी प्रेरणा का फल है।

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