शनिवार, 28 अगस्त 2010

कर्म

कर्म से ही बनता है कॅरियर
आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में कर्म ही अहम हो गया है, जो व्यक्ति अपने कार्य में जितना अधिक कुशल है, वह परिवार, समाज या अपने कार्यक्षेत्र में उतना ही महत्वपूर्ण और सफल होता है। आज का युवा मात्र किस्मत और भगवान पर निर्भर रहने के स्थान पर पुरुषार्थ यानि मेहनत और कर्म कर अपना कॅरियर बनाने में विश्वास रखता है।
भगवान श्रीकृष्ण ने भी युगों पहले कर्म के इसी महत्व को बताकर युद्ध में अर्जुन को श्रीमद्भगवद् गीता का उपदेश दिया कि हर व्यक्ति को कर्म करने का अधिकार है। लेकिन कर्म के फल का वह अधिकारी नहीं है। तुम न तो कभी अपने आपको कर्मों के परिणामों का कारण मानो और न ही कर्म करने में आसक्ति हो। श्रीकृष्ण का कर्मयोग का सरल अर्थ है - कार्य को पूरी निष्ठा, ईमानदारी और बिना स्वार्थ से करना।
भगवान श्रीकृष्ण ने भागवद् धर्म स्थापित कर गीता का यही ज्ञान सारे जगत को दिया। भगवान श्रीकृष्ण का उत्तम चरित्र और गीता में बताया ज्ञान एवं दर्शन किसी भी क्षेत्र से जुड़े व्यक्ति को अपने कार्यक्षेत्र में सफलता प्राप्ति के सूत्र सिखाता है। श्रीकृष्ण ने धार्मिक कर्म व जीवनोपयोगी कर्म के बीच का भेद दूर किया। इसीलिए भारतीय अध्यात्म में योगेश्वर कहलाए भगवान श्रीकृष्ण की जीवन लीलाओं में छिपा विज्ञान आज भी प्रासंगिक है।