जब अर्जुन की परीक्षा ली शिव ने
भगवान शंकर ने किरात अवतार लेकर पाण्डुपुत्र अर्जुन से युद्ध किया था तथा प्रसन्न होकर उसे अनेक अस्त्र-शस्त्र प्रदान किए थे। किरात अवतार में भगवान शंकर ने अर्जुन की वीरता की परीक्षा ली थी। इस अवतार से हमें यह सीख मिलती है कि यदि आप किसी को अपनी शक्तियां प्रदान कर रहे हैं तो यह अवश्य देख लें कि वह इस योग्य है भी या नहीं। अर्जुन पराक्रमी तो थे ही साथ ही योग्य भी थे इसलिए भगवान शंकर ने अर्जुन को अपनी शक्तियां (दिव्यास्त्र) प्रदान की थीं।
कौरवों ने छल-कपट से पाण्डवों का राज्य हड़प लिया व पाण्डवों को वनवास पर जाना पड़ा। वनवास के दौरान जब अर्जुन भगवान शंकर को प्रसन्न करने के लिए तपस्या कर रहे थे तभी दुर्योधन द्वारा भेजा हुआ मूड़ नामक दैत्य अर्जुन को मारने के लिए शूकर( सुअर) का रूप धारण कर वहां पहुंचा। अर्जुन ने शूकर पर अपने बाण से प्रहार किया उसी समय भगवान शंकर ने भी किरात वेष धारण कर उसी शूकर का बाण चलाया। शिव के माया के कारण अर्जुन उन्हें पहचान न पाया और शूकर का वध उसके बाण से हुआ है यह कहने लगा। इस पर दोनों में विवाद हो गया। अर्जुन ने किरात वेषधारी शिव से युद्ध किया। अर्जुन की वीरता देख भगवान शिव प्रसन्न हो गए और अपने वास्तविक स्वरूप में आकर अर्जुन को अनेक अस्त्र-शस्त्र तथा कौरव पर विजय का आशीर्वाद दिया।
(दैनिक भास्कर से साभार)
भगवान शंकर ने किरात अवतार लेकर पाण्डुपुत्र अर्जुन से युद्ध किया था तथा प्रसन्न होकर उसे अनेक अस्त्र-शस्त्र प्रदान किए थे। किरात अवतार में भगवान शंकर ने अर्जुन की वीरता की परीक्षा ली थी। इस अवतार से हमें यह सीख मिलती है कि यदि आप किसी को अपनी शक्तियां प्रदान कर रहे हैं तो यह अवश्य देख लें कि वह इस योग्य है भी या नहीं। अर्जुन पराक्रमी तो थे ही साथ ही योग्य भी थे इसलिए भगवान शंकर ने अर्जुन को अपनी शक्तियां (दिव्यास्त्र) प्रदान की थीं।
कौरवों ने छल-कपट से पाण्डवों का राज्य हड़प लिया व पाण्डवों को वनवास पर जाना पड़ा। वनवास के दौरान जब अर्जुन भगवान शंकर को प्रसन्न करने के लिए तपस्या कर रहे थे तभी दुर्योधन द्वारा भेजा हुआ मूड़ नामक दैत्य अर्जुन को मारने के लिए शूकर( सुअर) का रूप धारण कर वहां पहुंचा। अर्जुन ने शूकर पर अपने बाण से प्रहार किया उसी समय भगवान शंकर ने भी किरात वेष धारण कर उसी शूकर का बाण चलाया। शिव के माया के कारण अर्जुन उन्हें पहचान न पाया और शूकर का वध उसके बाण से हुआ है यह कहने लगा। इस पर दोनों में विवाद हो गया। अर्जुन ने किरात वेषधारी शिव से युद्ध किया। अर्जुन की वीरता देख भगवान शिव प्रसन्न हो गए और अपने वास्तविक स्वरूप में आकर अर्जुन को अनेक अस्त्र-शस्त्र तथा कौरव पर विजय का आशीर्वाद दिया।
(दैनिक भास्कर से साभार)