आज के इस तनाव भरे दौर में हर कोई झल्ला जाता है। तब ख्याल आता है कि काश अगली बार मेरा जन्म ही न हो और मुझे मोक्ष मिल जाए। सभी मोक्ष को लेकर गंभीर और चकित हैं कि इस घोर कलयुग में भी क्या मोक्ष की धारणा सच होती है? पर एक ऐसा सिद्ध क्षेत्र भी मौजूद है जो इस मोक्ष की धारणा को सच साबित कर रहा है। वह है- सोनागिरि।
कथा- सोनागिरि सिद्ध क्षेत्र है। यह दिगंबर जैन संप्रदाय का प्रमुख तीर्थ स्थल है। मान्यता है कि यहां नंग-अनंग कुमार साढ़े पांच करोड़ मुनियों के साथ मोक्ष को प्राप्त हुए थे। यह क्षेत्र सिद्ध योगियों के बीच बड़ा प्रसिद्ध है।
मंदिरों का गढ़- सोनागिरि में इतने मंदिर हैं कि लोग इसे मंदिरों का गढ़ भी कहने लगे हैं। यहां के मंदिरों की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इन सभी पर क्रमवार संख्या लिखी हुई है ताकि दर्शनों में असुविधा न हो। यहां छोटे-बड़े कुल 77 जैन मंदिर हैं।
प्रमुख मंदिर- मंदिर संख्या 57 जो पहाड़ी पर स्थित है यहां का मुख्य मंदिर है। यहां भगवान चंद्रप्रभु जी की 11 फीट ऊंची प्रतिमा है। इसी मंदिर में शीतलनाथ और पाश्र्वनाथ जी की भी प्रतिमाएं बड़ी सुंदर हैं।
पहाड़ी को यहां बड़ा पवित्र माना जाता है। इसे यहां लघु सम्मेत शिखर के नाम से जाना जाता है।
कै से पहुचें- सोनागिरि दतिया से 15 किलोमीटर, झांसी से 45 किलोमीटर और ग्वालियर से 64 किलोमीटर दूर है। यह दूरी रेल और बस मार्ग में लगभग समान ही है। यहां आने के लिए आसानी से बसें उपलब्ध हो जाती हैं। छोटा स्टेशन होने के कारण यहां सभी गाडिय़ां नहीं रुकतीं। इसलिए पहले से पता करना अच्छा होगा।
कहां रुकें- यहां रुकने के लिए कई धर्मशालाएं बनी हुई हैं। सभी यात्री प्राय धर्मशालाओं में ही रुकते हैं।
कथा- सोनागिरि सिद्ध क्षेत्र है। यह दिगंबर जैन संप्रदाय का प्रमुख तीर्थ स्थल है। मान्यता है कि यहां नंग-अनंग कुमार साढ़े पांच करोड़ मुनियों के साथ मोक्ष को प्राप्त हुए थे। यह क्षेत्र सिद्ध योगियों के बीच बड़ा प्रसिद्ध है।
मंदिरों का गढ़- सोनागिरि में इतने मंदिर हैं कि लोग इसे मंदिरों का गढ़ भी कहने लगे हैं। यहां के मंदिरों की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इन सभी पर क्रमवार संख्या लिखी हुई है ताकि दर्शनों में असुविधा न हो। यहां छोटे-बड़े कुल 77 जैन मंदिर हैं।
प्रमुख मंदिर- मंदिर संख्या 57 जो पहाड़ी पर स्थित है यहां का मुख्य मंदिर है। यहां भगवान चंद्रप्रभु जी की 11 फीट ऊंची प्रतिमा है। इसी मंदिर में शीतलनाथ और पाश्र्वनाथ जी की भी प्रतिमाएं बड़ी सुंदर हैं।
पहाड़ी को यहां बड़ा पवित्र माना जाता है। इसे यहां लघु सम्मेत शिखर के नाम से जाना जाता है।
कै से पहुचें- सोनागिरि दतिया से 15 किलोमीटर, झांसी से 45 किलोमीटर और ग्वालियर से 64 किलोमीटर दूर है। यह दूरी रेल और बस मार्ग में लगभग समान ही है। यहां आने के लिए आसानी से बसें उपलब्ध हो जाती हैं। छोटा स्टेशन होने के कारण यहां सभी गाडिय़ां नहीं रुकतीं। इसलिए पहले से पता करना अच्छा होगा।
कहां रुकें- यहां रुकने के लिए कई धर्मशालाएं बनी हुई हैं। सभी यात्री प्राय धर्मशालाओं में ही रुकते हैं।