बुधवार, 4 अगस्त 2010

कैसे है मुमकिन

पानी पर चलना!!
दोस्तों क्या आप पानी पर चल सकते हैं? हम जानते हैं आपका जवाब न ही होगा। पर आप सभी ने गौर किया होगा कि कुछ कीड़े-मकोड़े पानी की सतह पर आसानी से चलते हैं। पर ऐसा कैसे होता है? आपके मन में भी यह सवाल उठता होगा, चलिए आज इसका पता लगाने की कोशिश करते हैं।
एक बड़े से कटोरे को किसी मेज़ पर रखकर इसे पानी से भर दो। जब पानी का हिलना-डुलना बिल्कुल बंद हो जाए तो बहुत आहिस्ता से एक सुई इसकी सतह पर रखो और देखो कि क्या होता है। यदि सुई सावधानी से रखी गई है तो यह देखकर आपको आश्चर्य होगा कि सुई पानी की सतह पर तैरती रहती है।
यदि डूब जाए तब भी निराश न होकर फिर से कोशिश कीजिए। हां, एक काम और भी कर सकते हो। अबकी बार पहले पतंगी कागज़ (टिशू पेपर) का एक टुकड़ा पानी पर तैराकर फिर उसके ऊपर सुई रखो। कागज़ तो थोड़ी देर में भीगकर डूब जाएगा और सुई वैसे ही तैरती रहेगी।
सुई तैरते रहने की क्या वजह है
जानते हैं आप? वास्तव में पानी की सतह एक प्रकार से झिल्ली की तरह व्यवहार करती है, जिसे पृष्ठ तनाव (सरफेस टेंशन) कहते हैं। पानी के अणु एक-दूसरे को अपनी ओर खींचते हैं और वे अणु जो सतह पर हैं, सतह से नीचे वालों की तुलना में अधिक करीब खींच लिए जाते हैं।
इस तरह सतह पर अणुओं के बीच शक्तिशाली खिंचाव सुई को डूबने से रोके रखता है और यही वह शक्तिशाली खिंचाव है, जो पानी की सतह पर झिल्ली का-सा प्रभाव पैदा करके मानों एक प्लेटफार्म बना देता है, जिस पर छोटे-छोटे कीट आराम से चहल-कदमी करते देखे जा सकते हैं।
साभार-भास्कर

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