राधा को कृष्ण की अनन्यतम प्रियतमा कहा गया है। राधारानी के गांव बरसाने से कृष्ण का काफी लगाव रहा है। चूंकि राधारानी इसी गांव की हैं इसलिए इसे ब्रजमंडल में प्रमुख स्थान प्राप्त है।
भौगोलिक स्थिति एवं पौराणिक महत्व- बरसाना का पुराना नाम बृहत्सानु, ब्रहसानु या वृषभानुपुर था। यह नगर पहाड़ी पर बसा है जिसे साक्षात ब्रह्मा का स्वरूप माना जाता है। इसके चार शिखर ब्रह्मा के चार मुख माने जाते हैं।
बरसाने के दूसरी ओर भी एक पहाड़ी है। इन्हीं दो पहाडिय़ों के बीच में बसा है-बरसाना। यहीं श्यामसुंदर ने गोपियों को घेरा था।
मंदिर- बरसाने में यूं तो कई मंदिर हैं पर यहां का विशेष आकर्षण है-राधारानी मंदिर। इसकी सुंदरता देखते ही बनती है। यहां राधारानी की प्रतिमा बहुत सुंदर है।
मंदिर में ही वृषभानुजी की मूर्ति है जिसके एक ओर किशोरी सहारा दिए खड़ी हैं तो दूसरी ओर श्रीदामा खड़े हैं।
अन्य दर्शनीय स्थल- बरसाने में ही भानुपुष्कर नाम का सुंदर तालाब है जिसे वृषभानुजी ने बनवाया था। इसके किनारे एक जलमहल है जिसके दरवाजे सरोवर में जल के ऊपर खुले हुए हैं।
यहां पीरी पोखर नामक सरोवर बड़ा प्रसिद्ध है। कहते हैं कि राधा यहां स्नान करती थीं और शादी के बाद अपने पीले हाथ उन्होंने इसी सरोवर में धोए थे। इसी कारण इसका नाम पीरी पोखर पड़ा।
विशेष आयोजन- बरसाना राधारानी का गांव था इसलिए राधाष्टमी पर यहां काफी भीड़ होती है। अष्टमी से चतुर्दशी तक यहां बहुत बड़ा मेला लगता है।
कैसे पहुचें- बरसाना ब्रजमंडल में है। मथुरा से बरसाना लगभग 26 किलोमीटर दूर पड़ता है। यहां आने के लिए मथुरा से काफी साधन मिलते हैं।