विघ्नहर्ता गौरीपुत्र श्रीगणेश की आराधना से श्रद्धालु को सभी सुख-समृद्धि तुरंत ही प्राप्त हो जाती है। गणेशजी अपने भक्तों पर विशेष कृपा हमेशा बनाएं रखते हैं।
सभी जानते हैं कि किसी भी शुभ कार्य का शुभारंभ श्री गणेश के पूजन के बाद ही प्रारंभ होता है। गणेशजी की पूजा से हमारे सारे कार्य बिना किसी बाधा से पूर्ण हो जाते हैं। धर्म शास्त्रों के अनुसार वैसे तो गणेशजी के दर्शन मात्र से कई पाप नष्ट हो जाते हैं परंतु गणेश की पीठ के दर्शन करना अशुभ माना जाता है।
हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार गणेशजी के शरीर पर जीवन और ब्रह्मांड से जुड़े सभी अंग विद्यमान है। उनके हर अंग का विशेष महत्व है। गणेशजी की सूंड पर धर्म विद्यमान है तो कानों पर ऋचाएं, दाएं हाथ में वर, बाएं हाथ में अन्न, पेट में समृद्धि, नाभी में ब्रह्मांड, आंखों में लक्ष्य, पैरों में सातों लोक और मस्तक में ब्रह्मलोक विद्यमान है। गणेशजी के सामने से दर्शन करने पर उपरोक्त सभी सुख-शांति और समृद्धि प्राप्त हो जाती है।
गणेश परिक्रमा करते समय ध्यान रखें-
सभी पूजन आदि कार्यों के बाद भगवान की परिक्रमा करने का विधान है। सामान्यत: भगवान के दर्शन करने के बाद भी भक्त उनकी परिक्रमा करते हैं। इस दौरान कई श्रद्धालु भगवान की पीठ के भी दर्शन करते हैं। धर्म ग्रंथों के अनुसार इस संबंध में एक बात ध्यान रखने योग्य है कि श्री गणेश की परिक्रमा करते वक्त उनकी पीठ के दर्शन नहीं करने चाहिए। शास्त्रों में ऐसा वर्णित है कि गणपतिजी की पीठ पर निर्धनता या दरिद्रता का निवास है।
जो व्यक्ति गणेशजी की पीठ के दर्शन करता है उसकी निर्धनता बढ़ती है। ऐसे व्यक्ति को किसी भी माध्यम से धन हानि अवश्य होती है साथ ही उसे कई अन्य परेशानियां भी उठाना पड़ती हैं। अत: श्रद्धालु इस बात का विशेष ध्यान रखें कि गणपति बप्पा की परिक्रमा करते वक्त उनकी पीठ के दर्शन न करें।
जाने-अनजाने गणेशजी की पीठ के दर्शन करने पर तुरंत ही गणपतिजी से क्षमा याचना करें और ऊँ गं गणपतये नम: मंत्र के साथ आराधना करें।
सभी जानते हैं कि किसी भी शुभ कार्य का शुभारंभ श्री गणेश के पूजन के बाद ही प्रारंभ होता है। गणेशजी की पूजा से हमारे सारे कार्य बिना किसी बाधा से पूर्ण हो जाते हैं। धर्म शास्त्रों के अनुसार वैसे तो गणेशजी के दर्शन मात्र से कई पाप नष्ट हो जाते हैं परंतु गणेश की पीठ के दर्शन करना अशुभ माना जाता है।
हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार गणेशजी के शरीर पर जीवन और ब्रह्मांड से जुड़े सभी अंग विद्यमान है। उनके हर अंग का विशेष महत्व है। गणेशजी की सूंड पर धर्म विद्यमान है तो कानों पर ऋचाएं, दाएं हाथ में वर, बाएं हाथ में अन्न, पेट में समृद्धि, नाभी में ब्रह्मांड, आंखों में लक्ष्य, पैरों में सातों लोक और मस्तक में ब्रह्मलोक विद्यमान है। गणेशजी के सामने से दर्शन करने पर उपरोक्त सभी सुख-शांति और समृद्धि प्राप्त हो जाती है।
गणेश परिक्रमा करते समय ध्यान रखें-
सभी पूजन आदि कार्यों के बाद भगवान की परिक्रमा करने का विधान है। सामान्यत: भगवान के दर्शन करने के बाद भी भक्त उनकी परिक्रमा करते हैं। इस दौरान कई श्रद्धालु भगवान की पीठ के भी दर्शन करते हैं। धर्म ग्रंथों के अनुसार इस संबंध में एक बात ध्यान रखने योग्य है कि श्री गणेश की परिक्रमा करते वक्त उनकी पीठ के दर्शन नहीं करने चाहिए। शास्त्रों में ऐसा वर्णित है कि गणपतिजी की पीठ पर निर्धनता या दरिद्रता का निवास है।
जो व्यक्ति गणेशजी की पीठ के दर्शन करता है उसकी निर्धनता बढ़ती है। ऐसे व्यक्ति को किसी भी माध्यम से धन हानि अवश्य होती है साथ ही उसे कई अन्य परेशानियां भी उठाना पड़ती हैं। अत: श्रद्धालु इस बात का विशेष ध्यान रखें कि गणपति बप्पा की परिक्रमा करते वक्त उनकी पीठ के दर्शन न करें।
जाने-अनजाने गणेशजी की पीठ के दर्शन करने पर तुरंत ही गणपतिजी से क्षमा याचना करें और ऊँ गं गणपतये नम: मंत्र के साथ आराधना करें।