मूषक (चूहा) भगवान गणेश का वाहन है। शिवपुराण में लिखा है कि गणेश ने मूषक पर सवार होकर ही अपने माता-पिता की परिक्रमा की। इसी प्रकार पद्मपुराण में वर्णन आता है कि मूषक पर विराजमान देव-असुरों में श्रेष्ठ तथा युद्ध में महाबलशाली गणों के अधिपति श्री गणेश को प्रणाम है। भगवान गणेश का वाहन मूषक होने के बारे में अलग-अलग विचार मिलते हैं। यहां हम जानते हैं इससे जुड़ी पुराण कथा -
गजमुखासुर नामक दैत्य ने अपने बाहुबल से देवताओं को बहुत परेशान कर दिया। सभी देवता एकत्रित होकर भगवान गणेश के पास पहुंचे। तब भगवान श्री गणेश ने उन्हें गजमुखासुर से मुक्ति दिलाने का भरोसा दिलाया। तब श्री गणेश का गजमुखासुर दैत्य से भयंकर युद्ध हुआ। युद्ध में श्री गणेश का एक दांत टूट गया। तब क्रोधित होकर श्री गणेश ने टूटे दांत से गजमुखासुर पर ऐसा प्रहार किया कि वह घबराकर चूहा बनकर भागा लेकिन गणेशजी ने उसे पकड़ लिया। मृत्यु के भय से वह क्षमायाचना करने लगा। तब श्री गणेश ने मूषक रूप में ही उसे अपना वाहन बना लिया।