बुधवार, 8 सितंबर 2010

यहां हुआ था सीताजी का जन्म

सीताजी की गिनती भारत की महान पतिव्रता नारियों में होती है। इन्हें राजा जनक की पुत्री कहा जाता है पर वास्तव में ये धरती के गर्भ से प्रकट हुई थीं। जिस स्थान से ये प्रकट हुई उसे सीतामढ़ी के नाम से जाना जाता है।

नेपाल में पशुपतिनाथ के दर्शन करके लौटते समय दर्शनार्थी सीतामढ़ी और जनकपुर के दर्शन जरूर करते हैं।
सीतामढ़ी लखनेई नदी के पश्चिम तट पर स्थित एक बस्ती है। यहां एक घेरे के अंदर सीताजी का मंदिर है।
मुख्य मंदिर के आस-पास श्रीराम, लक्ष्मण, शिव, हनुमान और गणेशजी के भी मंदिर हैं।
कथा- महाराजा निमि के वंश में राजा ह्रस्वरोमा के पुत्र सीरध्वज थे। एक बार उनके देश में भयंकर अकाल पड़ा। अकाल से मुक्ति पाने के लिए जब वे सोने के हल से यज्ञभूमि जोत रहे थे, उस समय जमीन में हलाग्र के लगने पर एक दिव्य कन्या प्रकट हुई। यही सीताजी थीं।
हल से जुती हुई भूमि को सीता-सिरौर कहा जाता है, इसलिए कन्या का नाम सीता पड़ा। इसी जमीन पर उर्विजाकुण्ड नामक पुराना हवनकुण्ड है।
गौरतलब है कि निमिवंश के राजाओं की उपाधि विदेह या जनक है। यह स्थान शक्ति के साधकों के लिए भी बड़ा महत्वपूर्ण है।
कैसे पहुचें- उत्तर रेलवे की रक्सौल-दरभंगा रेलवे-लाइन पर सीतामढ़ी स्टेशन है। छोटी जगह होने के कारण यहां के बारे में कम ही लोग जानते थे पर धीरे-धीरे यह स्थान भी प्रसिद्धि पा रहा है।