शुक्रवार, 24 सितंबर 2010

यहां गुफाओं में बसते हैं अनगिनत भगवान


भारत में मंदिरों की कोई कमी नहीं है पर कुछ मंदिर अपनी बनावट और विशेषता के कारण इतने प्रसिद्ध हो जाते हैं कि पूरी दुनिया उनकी ओर आकर्षित हो जाती है। ऐसे ही मंदिर हैं- महाबलीपुरम में।
महाबलीपुरम के गुफा मंदिरों का क्षेत्र 6 किलोमीटर तक फैला हुआ है। एक गांव के पास पत्थर काट कर लंगूर की तरह बंदरों का समूह बनाया गया है। वहां से समुद्र की ओर दुर्गाजी का एक मंदिर है। उनके पास सात ओर मूर्तियां हैं।
वहां से थोड़ी दूरी पर एक साढ़े चार फुट ऊंचा शिवलिंग है जिसमें नक्काशी की हुई है। यहां स्थापित नन्दी की प्रतिमा बहुत सुंदर है।
इतिहास- महाबलीपुरम के मंदिर वहीं की चट्टानों को काट कर बनाए गए हैं। हालांकि समुद्र की तेजगति की हवाओं ने इनका स्वरूप कुछ बिगाड़ दिया है। ये मंदिर पल्लववंश के राजाओं द्वारा बनाए गए हैं। यहां मंदिरों को गुफाओं का रूप दिया गया है जो काफी आकर्षक और सुंदर लगता है।
यहां के मुख्य मंदिरों में शिव मंदिर, विष्णु मंदिर, गणेश मंदिर, दुर्गा मंदिर आदि प्रसिद्ध हैं। एक मंदिर में वाराह स्वामी का मण्डप है। इसमें हिरण्याक्ष दैत्य के ऊपर अपना एक पैर रखे भगवान वाराह खड़े हैं।
सामने की दीवार में भगवान वामन की विशाल मूर्ति है। भगवान का एक चरण स्वर्ग को नापने के लिए ऊपर उठा हुआ है। दोनों चरणों के पास बहुत सी मूर्तियां हैं।
कहा जाता है कि यहां अर्जुन ने शक्ति के लिए आराधना की थी। इसका प्रमाण यहां बने पाण्डवों के मंदिरों से लगता है।
कैसे पहुचें- महाबलीपुरम समुद्र किनारे एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है। यह पक्षीतीर्थ से लगभग 13 किलोमीटर दूर है। पक्षीतीर्थ से महाबलीपुरम तक के लिए आसानी से बसें मिल जाती हैं जो वापसी में चेंगलपट तक लौटती हैं।

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