सोमवार, 13 सितंबर 2010

यहां गीता ज्ञान की गंगा आज भी बहती है

भगवत गीता को असीम ज्ञान का भण्डार माना जाता है। इसका जीवन दर्शन सदियों से ही कौतुहल का विषय रहा है। निरंतर निष्काम कर्म करते रहने की सीख देने वाला यह ग्रंथ हमारी वास्तविक धरोहर है। इतिहास साक्षी है कि कृष्ण ने कैसे अर्जुन को इसका उपदेश देकर एक युग को ही बदलवा दिया था।

वह स्थान जहां कृष्ण ने गीता का संदेश दिया था ज्योतिसर तीर्थ कहलाता है।
इस स्थान पर एक बहुत पुराना सरोवर और कुछ पुराने वट-वृक्षों के अलावा और कोई विशेष प्राचीन स्मारक नहीं है। सरोवर ज्योतिसर अर्थात ज्ञान का स्त्रोत के नाम से प्रसिद्ध है।
सरोवर के किनारे खड़े प्राचीन वट-वृक्षों में से एक वट-वृक्ष बड़ा पवित्र माना जाता है। वह अक्षय वट-वृक्ष के नाम से विख्यात है जो भगवान कृष्ण के गीता उपदेश की घटना का एकमात्र साक्षी माना जाता है।
सन 1924 ई में स्व. महाराज दरभंगा ने अक्षय वट-वृक्ष के चारों ओर के चबूतरे को फिर से बनवाकर उसको पक्का बनाया और यहीं भगवान कृष्ण का एक छोटा सा मंदिर बनाया।
यहां का पवित्र सरोवर अत्यन्त विशाल है। इसके उत्तरी तट पर शिव मंदिर और अक्षय वट-वृक्ष है। सरोवर के उत्तरी तथा पूर्वी तटों पर सुंदर पक्के घाट बने हुए हैं।
कैसे पहुचें- ज्योतिसर तीर्थ कुरुक्षेत्र की पवित्र-पावन धरती पर स्थित है। कुरुक्षेत्र दिल्ली के पास है।
दिल्ली से यहां के लिए बसें आसानी से मिल जाती हैं।
दिल्ली-पठानकोट रेल मार्ग पर कुरुक्षेत्र स्टेशन पर उतरकर भी यहां पहुंचा जा सकता है।