बुधवार, 13 अक्तूबर 2010

हर पल बदलता चंद्रमा


क्या आपने गौर किया है कि चंद्रमा किसी दिन तो पीला-सा लगता है और कभी सफेद? क्या इसका मतलब यह है कि चंद्रमा हर रोज़ बदलता रहता है? क्या कारण है कि यह हमें अलग-अलग रंगों का दिखाई देता है? आइए जानते हैं..
चंद्रमा के पास स्वयं का कोई प्रकाश नहीं होता है। वह इसलिए चमकता है क्योंकि सूर्य का प्रकाश इसकी सतह से टकराकर परावर्तित होता है। अगर हम चंद्रमा पर खड़े हों, तो हमें पृथ्वी भी चमकती हुई दिखाई देगी। क्योंकि इस स्थिति में सूर्य का प्रकाश पृथ्वी की सतह से टकराकर परावर्तित हो रहा होगा।

दरअसल, पृथ्वी और चंद्रमा के पास स्वयं का कोई प्रकाश नहीं है। ये दोनों सूर्य से प्रकाश लेते हैं और जब ये प्रकाश इनकी सतह से टकराकर लौटता है, तो ये चमकते हुए दिखाई देते हैं। पृथ्वी की सतह से परावर्तित होने वाला सूर्य का प्रकाश चंद्रमा की सतह से भी टकराकर लौटता है। इसे ‘धरा दीप्ति’ या ‘पृथ्वी की चमक’ कहते हैं, क्योंकि यह सूर्य का प्रकाश ही है, जो पृथ्वी तक आता है और फिर चंद्रमा तक पहुंचता है।

चंद्रमा पर जितना सूर्य प्रकाश पड़ता है, उसका मात्र 7 प्रतिशत ही परावर्तित हो पता है। दूसरी ओर, पृथ्वी अपने ऊपर पड़ने वाले सूर्य-प्रकाश का 36 प्रतिशत हिस्सा परावर्तित कर देती है। साथ ही, चंद्रमा पर पृथ्वी के समान वायुमंडल नहीं है।
जब सूर्य का प्रकाश (जिसमें इंद्रधनुष के सभी सातों रंग के होते हैं) चंद्रमा से टकराता है, तो हम केवल उन्हीं रंगों के देख पाते हैं, जो पृथ्वी के वायुमंडल से पार हो पाते हैं। सूर्य से आने वाली गहरे रंग की प्रकाश किरणों को पृथ्वी का वायुमंडल अवरुद्ध कर देता है और हमें चंद्रमा रज़-नारंगी रंग का दिखाई देता है। लेकिन खगोल वैज्ञानिकों का कहना है कि चंद्रमा वास्तव में गहरे भूरे रंग का है। ठंडे लावे और ज्वालामुखी कांच-झांवे का रंग भी भूरा होता है। इस लावे और झांवे से ही चंद्रमा की सतह बनी हुई है। उदय होने के समय चंद्रमा नारंगी रंग का दिखाई देता है, क्योंकि क्षितिज का वायुमंडल इतना घना है कि यह सारी रजत किरणों को रोक लेता है।

चंद्रमा पर हमें कुछ धब्बे भी दिखाई देते हैं, क्योंकि उसके कुछ हिस्से दूसरे हिस्सों से ज़्यादा चमकीले हैं। इसका कारण है कि चंद्रमा पर कई ढलानें और घाटियां हैं, जिनकी वज़ह से कुछ स्थान छायायुक्त और कुछ चमकीले दिखते हैं। पूर्णमासी और उसके ठीक पहले और बाद के दिनों में सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा इसकी क्रम में एक सीध में होते हैं।
इस समय छाया नहीं दिखती, क्योंकि सूर्य की किरणों चंद्रमा पर सीधी पड़ती हैं। (दोपहर के 12 बजे, जब सूर्य आपके सिर के ठीक ऊपर होता है तब आपको अपनी छाया छोटी दिखने का कारण भी बिल्कुल यही है।) चंद्रमा के चारों ओर छल्ला या घेरा दिखाई देने का कारण, बाहरी वायुमंडल में बर्फ के मणिकों (क्रिस्टलों) से चंद्र किरणों का परावर्तन है।

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