सोमवार, 11 अक्तूबर 2010

ऐसी शिव पूजा के बिना अधूरी है शक्ति पूजा



नवरात्र में हर भक्त मातृशक्ति के आवाहन और जागरण में डूबा होता है। हर भक्त शक्ति के अलग-अलग रुपों को पूरी श्रद्धा और भाव से स्मरण कर सुख और खुशहाली की कामना करता है। पर शक्ति पूजा के इस पावन पर्व पर हर भक्त को यह ध्यान अवश्य रखना चाहिए कि शक्ति के साथ शिव का ध्यान और स्मरण न भूलें। क्योंकि शिव के बिना शक्ति और शक्ति से अलग शिव का कोई अस्तित्व नहीं है। शिव उपासना का विशेष दिन होता है- सोमवार। नवरात्र में आने वाला सोमवार का महत्व इसीलिए अधिक होता है कि शिव और शक्ति की आराधना एक ही दिन की जाती है। इस दिन शक्ति के पूर्ण जागरण की सार्थकता होती है।
इस दिन माता के कुष्माण्डा रूप की पूजा के साथ शिव की पूजा करनी चाहिए। किंतु इस दिन भगवान शिव की पंचामृत पूजा विशेष फलदायी होती है। पंचामृत पूजा में भगवान शिव को पांच पदार्थ - दूध, दही, घी, शक्कर और शहद से स्नान कराएं। इसके बाद अन्य पूजन सामग्रियों या उपचारों से भगवान शिव की पूजा करें। पंचामृत पूजा से शिव और शक्ति की प्रसन्नता से वैभव और सुख प्राप्त होते हैं। जीवन से चिंता, भय, दु:ख और बाधाएं दूर होती हंै। इसलिए यहां दी जा रही है भगवान शिव की पंचामृत अभिषेक पूजा की सरल विधि -
- सुबह जल्दी उठकर स्नान करें।
- घर या देवालय में शिवलिंग पर जल अर्पण करें।
- शिवलिंग पर क्रम से दूध, दही, घी, शहद और शक्कर अर्पित करें। हर सामग्री के बाद शुद्ध जल से स्नान कराएं।
- आखिर में सभी पांच पदार्थों को मिलाकर पंचामृत स्नान कराएं।
- पंचामृत स्नान के बाद शुद्धजल से स्नान कराएं।
- यह पूजन स्वयं या किसी विद्वान ब्राह्मण से भी कराया जा सकता है। धार्मिक दृष्टि से पंचामृत पूजा के साथ रुद्राभिषेक पूजा भी शुभ फल देती है।
- पंचामृत पूजा के बाद पंचोपचार पूजा जिसमें गंध, चंदन, अक्षत, पुष्प और बिल्वपत्र शिवलिंग पर अर्पित करें।
- धूप, दीप और नैवेद्य भगवान शिव को चढ़ाएं।
- अंत में पूजा में हुई गलतियों के लिए क्षमा मांगे और अपनी कामनाओं के लिए शिव से प्रार्थना करें।
- ब्राह्मण से पूजा कर्म कराने पर दान-दक्षिणा जरुर भेंट करें। तभी पूजा का पूरा और शुभ फल मिलता है।

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