मंगलवार, 14 दिसंबर 2010

पाण्डु को ही क्यों बनाया गया राजा?

महर्षि वेदव्यास की कृपा से ही कुरुवंश में धृतराष्ट्र, पाण्डु और विदुर ने जन्म लिया। उन दिनों भीष्म बड़ी लगन से धर्म की रक्षा और राज्य का काम-काज देखते थे। धृतराष्ट्र, पाण्डु व विदुर के कार्य देखकर हस्तिनापुरवासियों को बड़ी प्रसन्नता होती थी। भीष्म बड़ी सावधानी से राजकुमारों की रक्षा करते थे। जब ये तीनों बड़े हुए तो भीष्म ने उनकी शिक्षा का उचित प्रबंध किया।

इस प्रकार धृतराष्ट्र, पाण्डु व विदुर तीनों ने ही अपने-अपने अधिकारानुसार अस्त्र व शास्त्रज्ञान का अध्ययन किया। पाण्डु की रुचि शस्त्र ज्ञान में अधिक थी वे श्रेष्ठ धनुर्धर थे और सबसे बलशाली थे धृतराष्ट्र, उनमें अनेक हाथियों का बल था। विदुर के समान धर्म को जानने वाला संसार में कोई और नहीं था। जब ये तीनों युवा हुए तो भीष्म ने सत्यवती की सम्मति से किसी एक को राज्य का भार सौंपने का विचार किया। धृतराष्ट्र जन्म से ही अंधे थे और विदुर दासी पुत्र, इसलिए वे दोनों राज्य के अधिकारी नहीं माने गए।
इस प्रकार सर्वसम्मति से पाण्डु को राज्य का अधिकारी माना गया। भीष्म ने बड़े उत्साह से पाण्डु का राज्याभिषेक किया।

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