गुरुवार, 2 दिसंबर 2010

कांग्रेस के निशाने पर रमन सिंह

भ्रष्टाचार के मुद्दे पर विपक्ष की नाराजगी झेल रही कांग्रेस ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री येदियुरप्पा के बाद अब छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह पर निशाना साधा है। पार्टी ने छग सरकार पर भ्रष्टाचार को शह देने का आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री रमन सिंह को पुष्प स्टील कंपनी के मालिकों के बारे में खुलासा करने की चुनौती दी है। पार्टी का कहना है कि इस कंपनी को छग में लौह अयस्क की खान का पट्टा गलत तरीके से दिया गया है।
कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने आरोप लगाया कि दिल्ली में जून 2004 में पुष्प स्टील नाम की एक कंपनी बनी, जिसे कुछ ही दिनों के भीतर कांकेर जिले में लौह अयस्क की खान का पट्टा दे दिया गया। प्रवक्ता ने इस कंपनी को ‘फर्जी’ बताते हुए इसके पीछे भाजपा के बड़े नेताओं को हाथ होने की बात कही। तिवारी ने कहा कि जुलाई 2010 में दिल्ली हाईकोर्ट भी छग सरकार के इस फैसले को अवैध ठहरा चुका है।

भंग होगा स्क्वॉड!
रायपुर.मारपीट और लूटपाट जैसे आरोपों से घिरे गृहमंत्री ननकीराम कंवर के एचएम स्क्वॉड दिन पूरे होने को हैं। टोली पर लगातार लग रहे आरोपों से मुख्यमंत्री बेहद खफा हैं।
राज्य का खुफिया विभाग स्क्वाड की गतिविधियों के बारे में मुख्यमंत्री जानकारी मुहैया करा रहा है। इस बीच गृह विभाग ने भी स्क्वॉड के बारे में पूरी रिपोर्ट तैयार कर ली है। कंवर फिलहाल दिल्ली में हैं। उनके राजधानी लौटते ही स्क्वॉड को भंग करने के बारे में आखिरी फैसला किया जाएगा।
गृहमंत्री स्क्वॉड के पक्ष में हैं। कैबिनेट बैठक में भी मुख्यमंत्री की मौजूदगी में गृहमंत्री ने स्क्वाड की तारीफ की थी।उनकी दलील है कि आम लोग इसके काम से संतुष्ट हैं।
स्कवॉड के गठन के लिए गृहमंत्री के कार्यालय से प्रस्ताव डीजीपी के पास भेजा गया था। काफी दबाव के बाद पुलिस मुख्यालय ने इसका गठन किया। इसके आदेश भले ही डीजीपी के दस्तखत से हुए, पर नियंत्रण सीधे गृहमंत्री के पास है। कंवर चाहते थे कि पुलिस की एक टीम अलग हो, जो उनके निर्देश पर काम करे।
कानून के जानकारों के मुताबिक ऐसे स्क्वॉड का प्रावधान ही नहीं है। अवैध शराब या सट्टे का केस पकड़ने पर दस्ता अपराध भी कायम नहीं कर सकता, क्योंकि सीआरपीसी की धाराओं के तहत उसे कार्रवाई करने का अधिकार नहीं है। केस दर्ज करने के लिए उसे संबंधित इलाके के थाने में जाना होगा।
धमतरी में चेक से रिश्वत राशि की वसूली, बस्तर के बाद बुधवार अंबिकापुर इलाके में हुई घटना के बाद से सरकार के लिए जवाब देना मुश्किल हो रहा है। खरोरा में भी यही टीम विवाद में फंसी थी।
राज्य शासन के निर्देश पर जिला पुलिस ने पूरे मामले की जांच कर रिपोर्ट पीएचक्यू भेज दी है। जांच में स्क्वाड के सदस्यों द्वारा मारपीट की पुष्टि हो गई है। सरगुजा में मंगलवार को दस्ते के कई लोगों को पुलिस ने ही डकैती और बलवा की गंभीर धाराओं के तहत गिरफ्तार किया।
कांग्रेस के अलावा भाजपा के अंदर भी स्क्वाड का विरोध होता रहा है। भाजपा विधायक देवजी पटेल मुहिम में जुटे हैं। खरोरा में मारपीट की घटना के बाद उन्होंने मुख्यमंत्री, गृहमंत्री और डीजीपी को पत्र लिखकर जानकारी चाही थी कि किस कानून के तहत इसका गठन किया गया।
"गृहमंत्री के स्तर पर मामला विचाराधीन है। स्क्वॉड की गतिविधियों के बारे में गृहमंत्री को बता दिया गया है।"
एनके असवाल,मुख्य सचिव,गृह विभाग


कंवर और नेताम को हटाने कांग्रेस ने खोला मोर्चा
रायपुर.भाजपा सरकार के दो मंत्रियों के खिलाफ कांग्रेस ने मोर्चा खोल दिया है। कांग्रेस का प्रतिनिधिमंडल ने बुधवार को राज्यपाल शेखर दत्त से मिलकर उन्हें हटाने के लिए मुख्यमंत्री को सलाह देने की बात कही। कांग्रेस ने एचएम स्क्वाड की गुंडागर्दी, प्रदेश में बिगड़ती कानून व्यवस्था और मंत्रियों की लापरवाही को मुद्दा बना दिया है। गृहमंत्री ननकीराम कंवर और पंचायत मंत्री रामविचार नेताम कांग्रेस के निशाने पर हैं।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष धनेंद्र साहू, कार्यकारी अध्यक्ष सत्यनारायण शर्मा और नेता प्रतिपक्ष रविंद्र चौबे सहित प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल से मिलकर प्रदेश की बिगड़ती कानून व्यवस्था की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि गृहमंत्री का एचएम स्क्वाड बेकाबू हो गया है। श्री कंवर के निज सचिव और स्क्वाड सदस्यों ने मंगलवार रात को सूरजपुर के ढाबे में मारपीट की। इस पर पुलिस ने एचएम स्क्वाड के पांचों सदस्यों के खिलाफ डकैती का मामला दर्ज कर लिया है।
इधर प्रदेश में अपहरण, हत्या की वारदातें बढ़ती जा रही हैं, लेकिन गृहमंत्री और पुलिस प्रशासन के बीच कोई समन्वय नहीं है। कांग्रेस ने कहा कि पंचायत मंत्री श्री नेताम ने अंबिकापुर में रितिक के अपहरण और हत्याकांड में विवादास्पद बयान दे रहे हैं। नेता प्रतिपक्ष श्री चौबे ने कहा कि प्रदेश में अपराधी तत्वों के हौसले बुलंद हैं। हर जगह अपराध बढ़ते जा रहा है। पुलिस का खौफ खत्म हो गया है। पुलिस प्रशासन आम लोगों से वसूली में लगी हुई है।
इस मामले में गृहमंत्री दोषी हैं। कांग्रेस इस मामले में राज्यपाल से हस्तक्षेप कर दोनों मंत्रियों को हटाने की मांग की। उन्होंने कहा कि पूरे घटनाक्रम के बाद मुख्यमंत्री मौन साधे हुए हैं। उन्होंने पुलिस अधिकारियों की बैठक लेकर अपने कर्तव्य से इतिश्री कर ली।
अपराधियों पर अंकुश लगाने कारगर रणनीति नहीं बनाई गई और न ही किसी की जवाबदेही तय की गई। प्रतिनिधिमंडल में विधायक अमितेश शुक्ल, कुलदीप जुनेजा, प्रदेश महामंत्री राजेंद्र तिवारी, रमेश वल्र्यानी, शेख नाजीमुद्दीन, दीपक मिश्रा, अंबर शुक्ला, कल्पना पटेल व सुरेश मिश्रा शामिल थे।

चपरासी बनने आए एमएससी पास युवक
रायपुर. नौकरी के लिए मारामारी के दौर में अब चपरासी के लिए भी एमए और एमएससी पास किस्मत आजमा रहे हैं। पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय से संबद्ध महाविद्यालयों में इन दिनों लिपिकों और चपरासियों की नियुक्तियां की जा रही हैं। न्यूनतम योग्यता वीं पास रखी गई है लेकिन पढ़े-लिखे नौजवान भी किस्मत जमाने से नहीं चूक रहे।
क्लर्क के लिए तो स्नातक और स्नातकोत्तर उम्मीदवारों ने साक्षात्कार दिए ही, चपरासी के लिए भी करीब आधा दर्जन एमएससी पास उम्मीदवारों ने साक्षात्कार दिए। रविवि में संचालक महाविद्यालय विकास परिषद (डीसीडीसी) के दफ्तर में उम्मीदवारों का साक्षात्कार चल रहा है। एक दिन और यह प्रक्रिया चलेगी। इसके बाद कार्यपरिषद की आगामी बैठक में इसके अनुमोदन के बाद चयनितों की सूची जारी की जाएगी। जारी सूची में उम्मीदवारों को दी जाने वाली पगार की राशि का भी उल्लेख होगा।
इससे पहले कालेज संचालकों ने लिपिक और भृत्य पदों के लिए विज्ञापन जारी किया था। क्लर्को के लिए 12 वीं या इससे अधिक और चपरासी के लिए 5वीं या 8वीं पास अनिवार्य योग्यता रखी गई थी। पहले दिन कल सोमवार को 75 उम्मीदवारों के साक्षात्कार हुए और मंगलवार को भी 34 अभ्यर्थियों ने किस्मत आजमाई।
ज्ञात रहे कि पिछले साल महाविद्यालयों के निरीक्षण के दौरान वहां अस्थायी रूप से काम करने वाले युवकों ने डीसीडीसी से लिखित में कम वेतन देने और अधिक देर तक काम लेने की शिकायतें की थीं। साथ ही मानसिक शोषण का भी हवाला दिया था। इसे देखते हुए निजी महाविद्यालयों के संचालकों को अपने स्तर पर विज्ञापन जारी करने और नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू करने के निर्देश दिए गए थे। इसी का इन दिनों क्रियान्वयन हो रहा है।

बदल रहा है नाम
चेंज होती लाइफ स्टाइल के साथ ही व्यक्ति के विचार भी बदल रहे हैं। आज के युवा हर चीज सोच-विचारकर करते हैं। फिर चाहे शॉपिंग हो, प्रॉपर्टी लेना हो, घर परिवार की देखभाल करनी हो या बच्चे को किसी स्कूल मे दाखिल कराना हो हर चीज बड़े प्लान्ड वे में की जाती है।
लेकिन इस सबसे हटकर एक और चीज पर ध्यान दिया जा रहा है वो है बच्चे का नामकरण। उच्च शिक्षित युवाओं का मानना है बदलते जमाने के साथ बच्चे का नाम भी कुछ डिफरेंट हो। इससे सोसाइटी में बच्चे की अलग पहचान बनती है।
अपने प्यारे से बेबी का नाम रखते समय इस चीज का ध्यान जरूर रखें कि आप जो भी नाम रखना चाहते हैं। वह डिफरेंट होने के साथ बहुत कम लोगों ने सुना हो। दूसरों से अलग विचार रखते हुए नाम रखने में कोई बुराई नहीं है।
इससे बच्च भीड़ में सबसे अलग पहचान बना सकेगा। उसे यह अच्छा लगेगा कि उसके काम की तरह ही उसका नाम भी एकदम अलग है।
कुछ लोग कहते हैं कि नाम में क्या रखा है लेकिन यह सच नहीं है। इस दुनिया में व्यक्ति की अगर कोई पहचान होती है तो वह नाम ही है। स्टेटस और व्यवसाय तो बदलता रहता है, लेकिन नाम अंतिम सांसों तक बच्चे की पहचान बना रहता है।
इसलिए नामकरण से पहले विचार जरूर करें। एक बार नाम रखने में गलती हो गई तो बच्चे को जीवनभर दिक्कतें आती हैं। हर कोई उसका मजाक उड़ाता है और उसका आत्मविश्वास डगमगाने लगता है।
नामकरण जीवनभर की पहचान होती है इसलिए नाम यूनिक तो हो लेकिन उसका प्रननसिएशन स्पष्ट होना चाहिए। ताकि किसी व्यक्ति को नाम सुनकर यह न लगे कि नाम यूनिक है लेकिन उच्चरण से यह नहीं समझ आता है कि लड़के का है या लड़की का। अगर उच्चरण कंफ्यूजिंग होगा तो बच्चे को हमेशा तकलीफ होगी। उसके साथी उसका मजाक उड़ाएंगे।
रियल नेम और निकनेम में अंतर रखना जरूरी है क्योंकि परिवार के सदस्य और करीबी लोग व्यक्ति को उसके निकनेम से ही बुलाते हैं। निकनेम रखना जरूरी भी है, यह प्यार और अपनेपन का एहसास दिलाता है।
लेकिन स्कूल और वर्कप्लेस पर अपनी पहचान बनाने के लिए रियलनेम ही काम आता है। अत: निकनेम के साथ रियलनेम होना बेहद आवश्यक है। अगर निकनेम न हो तो व्यक्ति को बाहरी और करीबी दुनिया का अंतर महसूस नहीं होता। बच्चे के रियलनेम के साथ उसका निकनेम जरूर रखें।

2 जी घोटाले की तरह होगा नई खनिज नीति
मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह ने नई दिल्ली में केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी और केंद्रीय खनिज मंत्री बीके हांडिक के साथ नई खनिज नीति पर चर्चा की।
मुख्यमंत्री ने कहा कि नई खनिज नीति में पहले आएं, पहले लाइसेंस पाए का सिद्धांत अव्यवहारिक है। यह खनिज वाले क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के हितों के विपरीत है। इस इस नीति से खरीद फरोख्त को बढ़ावा मिलेगा। इस हश्र 2 जी घोटाले की तरह हो जाएगा।
नार्थ ब्लाक स्थित वित्त मंत्रालय में हुई चर्चा में मुख्यमंत्री डा. सिंह ने कहा कि नई खनिज नीति में जो पहले आएं, सो लायसेंस पाएं का सिद्धान्त बिना अपवाद के लागू करना प्रस्तावित है। इसका गलत असर पड़ेगा।
आवेदकों में से मैरिट में स्थानीय स्तर पर वैल्यू एडीशन करने वाले को लाइसेंस में प्राथमिकता दी जानी चाहिए। हुदा समिति ने भी इस विषय पर स्थानीय स्तर पर वैल्यू एडीशन करने वाले आवेदक को प्राथमिकता देने का सुझाव दिया है।
अनुसूचित क्षेत्रों में खनिज रियायतें देने की प्रस्तावित नीति के संबंध में मुख्यमंत्री ने कहा कि जो आवेदक आदिवासी क्षेत्रों में वैल्यू एडीशन करने का प्रस्ताव दें, उन्हें खनिज रियायतों में सर्वोच्च प्राथमिकता देने का प्रावधान होना चाहिए ।
इसके अतिरिक्त अनुसूचित क्षेत्रों में खनन लाभ का 26 प्रतिशत या रायल्टी की दो गुनी राशि, जो भी अधिक हो, उसे देना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि खनिज राष्ट्रीय संपति है। इसकी रियायतें देने की शक्ति राज्य शासन के पास ही रहना चाहिए। मुख्यमंत्री ने खनिज बिल के मसौदे में लायसेंस एवं लीज के आवेदनों के निराकरण के लिए तीन महीने की कालावधि के निर्धारण को अव्यवहारिक बताया।
उन्होंने कहा कि वर्तमान नीति में लघु और मध्यम औद्योगिक इकाइयों की कच्चे माल की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए राज्य सरकार के उपRमों के लिए खनिजधारी क्षेत्र सुरक्षित रखने का प्रावधान है।
प्रस्तावित नीति में यह प्रावधान समाप्त किया जा रहा है, इसे जारी रखा जाना चाहिए ।
सुरक्षा बलों के लिए मांगे 660 करोड़ चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री ने राज्य में केंद्रीय सुरक्षा बलों के रखरखाव पर हुए लगभग ६६क् करोड़ रूपए के व्यय की राज्य सरकार से वसूली को माफ करने की मांग की ।
उन्होंने कहा कि नक्सली हिंसा से जूझते राज्य के लिए यह भार उठाना संभव नहीं है । बैठक में मुख्यमंत्री के सलाहकार शिवराज सिंह , केंद्रीय खनिज सचिव विजय कुमार , राज्य के खनिज सचिव एसके बेहार और मुख्यमंत्री के ओएसडी विRम सिसोदिया भी उपस्थित थे ।

जिसने किए अरबों दान, उसी के गांव में अंधेरा
रायपुर. छत्तीसगढ़ में प्रसिद्ध दानवीर दाऊ कल्याण सिंह ने अरबों रुपए की जमीन सरकार को दान में दी। उनके दान से रायपुर में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय खुला। इस विवि को उन्होंने तीन हजार एकड़ से अधिक जमीन दान दी। राज्य शासन का मंत्रालय भवन भी उन्हीं की जमीन पर खड़ा है। उनके नाम पर इस भवन को डीके भवन कहा जाता है। उन्होंने मेडिकल कालेज के लिए राजधानी में बेशकीमती जमीन दी। इनके अलावा देशभर के कई संस्थानों को उन्होंने करोड़ों रुपए दान दिया, लेकिन आज उनका खुद का गांव अंधेरे में डूबा है। उनके जाने के बाद कभी सरकार ने गांव की सुध नहीं ली। अब जाकर सरकार का ध्यान उनके गांव के विकास पर गया है।
भाटापारा ब्लाक के तरेंगा के ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह से मुलाकात की और यह समस्याएं बताईं। मुख्यमंत्री ने तरेंगा को ग्राम गौरव योजना में शामिल करने की घोषणा की। मुख्यमंत्री को तरेंगा से आए प्रतिनिधि मंडल ने ज्ञापन सौंपकर बताया कि तरेंगा प्रसिद्ध दानवीर दाऊ कल्याण सिंह की कर्मभूमि के रूप में मशहूर है। ऐसे महान समाज सेवी और दानवीर की याद में उनके गांव के समग्र विकास के लिए तरेंगा को छत्तीसगढ़ सरकार की ग्राम गौरव योजना में शामिल किया जाना चाहिए।उन्होंने बताया कि ग्राम पंचायत तरेंगा की जनसंख्या नौ हजार हो चुकी है, जबकि नगर पंचायत स्थापना के लिए पांच हजार की जनसंख्या का होना जरूरी है।
अभी तक तरेंगा ग्राम पंचायत को नगर पंचायत का दर्जा नहीं मिल सका है। इस वजह से वहां विकास कार्य नहीं हो पा रहे हैं। उन्होंने ज्ञापन में दस बिस्तर अस्पताल सहित वार्ड नम्बर-16,17,18,19 और 20 में सीमेंट कांक्रीट रोड निर्माण और तरेंगा से कुलीपोटा तक पहुंच मार्ग डामरीकरण की भी मांग की। मुख्यमंत्री ने उनके ज्ञापन पर कार्रवाई के लिए पंचायत मंंत्री रामविचार नेताम को भेजा।


लाश की ही कर दी अदला-बदली!
रायपुर. आंबेडकर अस्पताल की मर्चुरी में गुरुवार को गंभीर लापरवाही सामने आई। मर्चुरी के डॉक्टरों ने दूसरी महिला का लाश परिजनों को सौंप दिया। परिजन भी लाश को लेकर दाह संस्कार करने श्मशानघाट पहुंच गए। दाह संस्कार के पहले लाश का चेहरा देखा तो माजरा समझ में आया। लाश दूसरी महिला की थी।
आंबेडकर अस्पताल चौकी से मिली जानकारी के अनुसार कटोरातालाब निवासी मधु यादव व संजय यादव आग में में बुरी तरह झुलस गए थे। आंबेडकर अस्पताल में उनका इलाज के दौरान गुरुवार को मौत हो गई। पोस्टमार्टम के बाद मधु के परिजन बॉडी लेने मर्चुरी पहुंख्चे। मर्चुरी के डॉक्टरों ने मधु की बॉडी देने के बजाय मनेंद्रगढ़ कोरिया निवासी 23 वर्षीय महिला कमला बाई की बॉडी दे दिए। वे बॉडी को बिना देख्खे घर ले गए। वहां से दाह संस्कार करने के लिए श्मशानघाट ले गए। अंतिम संस्कार की प्रक्रिया अंतिम चरण में थी। तभी बॉडी का चेहरा देखे तो परिजन सन्न रह गए। बॉडी मधु के बजाय किसी दूसरी महिला की थी। सच्चाई पता चलने के बाद वे बॉडी को लेकर दौड़े-दौड़े आंबेडकर अस्पताल की मचुर्री पहुंचे। मर्चुरी आकर देखा तो मधु की बॉडी ज्यों की त्यों रखी हुई थी। वे कमला बाई का बॉडी मर्चुरी में छोड़कर मधु का बॉडभ्ी ले गए। फिर उनका अंतिम संस्कार भी किया।
इनका कहना है: शव की पहचान करना पुलिस वालों का काम है। पुलिस की पहचान के बाद ही महिला की बॉडी दी गई। बर्न केस होने के कारण बॉडी की पहचान करने में पुलिसवालों से कुछ भूल हो गई होगी। बॉडी भी हम पुलिस को सौंपते हैं। फिर पुलिस बॉडी को परिजन को देते हैं।
डॉ. आरके सिंह, विभागाध्यक्ष फोरेंसिक मेडिसीन मेडिकल कॉलेज

12 दिन बाद भाग आया कृष्णा
बीजापुर& कृष्णा के अनुसार अपनी रिहाई की कोई सूरत न पाते उसने 30 नवंबर की रात करीब 10 बजे नक्सलियों के चंगुल से भागकर 10 किमी की पहाडिय़ां पार 4 घंटे के सफर के बाद चेरपाल शिविर पहुंचा था। जहां उसे अचानक अपनी बीच पाकर मां, पत्नी विमला, बेटी भूमिका, पुत्र विशाल और निहाल, भाई गोविंद, जितेंद्र, ने अपने गले लगा लिया। सब इस बात से खुश थे कि कृष्णा सही सलामत आ गया।
दहशत भरे 12 दिनों की व्यथा सुनाते कृष्णा ने बताया अपहरण के एक - दो दिन के बाद तक नक्सली उससे रोज मारपीट करते थे। 24 घंटे आंखों में पट्टी और हाथों में रस्सी बंधी होती थी। उसने बताया कि जब नक्सलियों को भरोसा हो गया कि उससे उन्हें कोई खतरा नहीं है तब हिम्मत कर नक्सलियों से उसने पूछा कि उसके पिता को क्यों मारा गया। तो नक्सलियों का कहना था कि वर्दी वालों ने उसके पिता की हत्या नहीं की है । गांव के ही संघम सदस्यों ने मारा होगा। कृष्णा के पिता का शव अब तक बरामद नहीं हो सका है। कृष्णा के अनुसार नक्सली उसे हर दिन पोहा,चना, बघारा हुआ चावल सुबह-शाम दिया करते थे।
ज्ञात हो कृष्णा का उनके तीन साथियों के साथ अपहरण 19 नवंबर को नक्सलियों ने पदेड़ा के पास से उस समय कर लिया था जब वह अपने पालतू मवेशी के हालात जानने शिविर से गया था। नक्सलियों ने कृष्णा के तीन साथी कोरसा मासा, कोरसा रघु और कोरसा लखमू को छोड़ दिया था।

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